Class10th गद्य खण्ड पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
उत्तर- देश-प्रेम के भाव से भरे कैप्टन चश्मे वाले के मन में देश पर बलिदान होने वालों के प्रति सम्मान का भाव है। सुभाष चन्द्र बोस के प्रति उसमें श्रद्धा है। इसीलिए वह उनकी प्रतिमा पर चश्मा लगाता है। उसके मन में देश के प्रति फौजियों जैसा ही भाव है इसीलिए उसे लोग कैप्टन कहते थे।
2. बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की? लिखिए।
उत्तर - बालगोबिन भगत ने अपने बेटे के शव को सफेद कपड़े से ढक दिया उस पर फूल तथा तुलसी दल बिखेर दिए। स्वयं उसके पास आसन जमाकर गाने बैठ गए। वे तल्लीनता से कबीर के पदों को गाने लगे। उनके अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा अपने प्रेमी परमात्मा से जा मिलती है। इसलिए मृत्यु उत्सव, आनन्द का समय है, रोने का नहीं। वे अपनी पुत्रवधू को भी उत्सव मनाने के लिए कहते हैं।
3. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है ?(2)
उत्तर - शहनाई मांगलिक अवसरों पर बजाई जाती है। इसीलिए इसे मंगलध्वनि अर्थात् वह ध्वनि जो मंगलकारी हो, कहा जाता है। यह ध्वनि प्रातःकाल मंगला आरती के समय भी बजाई जाती है। बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर शहनाई की साधना में ही लगे रहे। उन्होंने शहनाई को फूँक से बजाए जाने वाले सुषिर वाद्यों का सरताज बना दिया। शहनाई वादन की उत्कृष्टता के कारण ही बिस्मिल्ला खाँ को भारतरत्न की उपाधि से नवाजा गया। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ हर मंगलकारी अवसर पर शहनाई बजाते थे। उन्होंने इसी कारण भारत का सर्वोत्कृष्ट सम्मान प्राप्त किया। इसीलिए उन्हें मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।
4 वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है ?
उत्तर- अपने विवेक द्वारा जो व्यक्ति किसी नए तथ्य के दर्शन करता है, नयी खोज करता है, वही वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति है। वह व्यक्ति किसी-न-किसी उपयोगी आविष्कार के लिए प्रयत्न करता ही रहता है। उसकी सन्तान जिसे बिना किसी प्रयास के यह वस्तु प्राप्त हो गई वह सभ्य तो कही जा सकती है किन्तु संस्कृत नहीं । वास्तविक संस्कृत तो आविष्कार करने वाला ही होता है।
उत्तर — मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि अभी लोगों के अंदर की देशभक्ति की भावना मरी नहीं है। भावी पीढ़ी इस धरोहर को सँभाले हुए है। बच्चों के अंदर देशप्रेम का जज्बा है, अतः देश का भविष्य सुरक्षित है।
6 'बालगोबिन भगत' पाठ के आधार पर भगत के गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :- बालगोबिन भगत प्रभु भक्ति के मस्ती भरे गीत गाया करते थे। उनके गानों में सच्ची टेर होती थी, उनका स्वर इतना मोहक, ऊँचा और आरोही होता था कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें इस गीत को गुनगुनाते लगती थीं। खेतों में काम करने वाले किसानों के हाथ-पैर लय में चलने लगते थे। उनके संगीत में जादुई प्रभाव था। वह मनमोहक प्रभाव सारे वातावरण पर छा जाता था। यहाँ तक कि घनघोर सर्दी और गर्मियों की उमस भी उन्हें डिगा नहीं सकती थी।
7. सुषिर वाद्यों से क्या अभिप्राय है? किस वाद्य को सुषिर वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई है ?
उत्तर – फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य यन्त्र सुषिर कहलाते हैं। मुरली, वंशी, मुरछंग, शृंगी आदि इसी तरह के वाद्य हैं। इन वाद्यों में सुराख होता है जिसमें फूँक मारने से स्वर निकलता है। इन सभी सुषिर वाद्यों में शहनाई सबसे ज्यादा मीठे सरस स्वर वाली होती है। इसी वजह से शहनाई को सुषिर वाद्यों का शाह, शहंशाह कहा जाता है।
8 वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है? (2)
उत्तर- अपने विवेक द्वारा जो व्यक्ति किसी नए तथ्य के दर्शन करता है, नयी खोज करता है, वही वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति है। वह व्यक्ति किसी-न-किसी उपयोगी आविष्कार के लिए प्रयत्न करता ही रहता है। उसकी सन्तान जिसे बिना किसी प्रयास के यह वस्तु प्राप्त हो गई वह सभ्य तो कही जा सकती है किन्तु संस्कृत नहीं। वास्तविक संस्कृत तो आविष्कार करने वाला ही होता है।
9 . कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा क्यों लगा
देता था ?
उत्तर — कैप्टन में देशभक्ति का भाव था इसीलिए वह मूर्ति
पर चश्मा लगाकर अपनी भावना व्यक्त करता था |
10 'एक कहानी यह भी पाठ में लेखिका मन्नू भंडारी के पिता ने रसोई को भटियारखाना' कहकर क्यों संबोधित किया है ?
उत्तर :- उत्तर-लेखिका मन्नू भंडारी के पिता ने रसोई को भटियारखाना इसलिए कहा है कि उनके अनुसार रसोई में काम करने वाली युवतियों की रचनात्मक प्रतिभा जलकर नष्ट हो जाती है। रसोई में काम करने वाली स्त्रियाँ इतनी रचनात्मक नहीं हो पाती हैं। उनकी क्षमता खाना पकाने, सब्जी काटने या नये-नये पकवान बनाने में ही चली जाती है। उनका स्वाभाविक विकास नहीं होता है। 11. शहनाई की दुनिया में डुमरांव को क्यों याद किया जाता है ? (2)
उत्तर —उत्तर- शहनाई की दुनिया में डुमराँव को याद करने के प्रमुख दो कारण हैं-पहला कारण शहनाई बजाने में जो रीड उपयोग में आती है वह डुमराँव में ही सोन नदी के किनारे मिलती है। उसी के सहारे शहनाई बजती है। दूसरा कारण शहनाई के सरताज भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। डुमराँव को इन्हीं दो कारणों से मुख्यतः याद किया जाता है।
12 आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है ? इस खोज के पीछे क्या प्रेरणा रही होगी ?
उत्तर – आग की खोज सभ्यता की प्रारम्भिक खोजों में से एक है। जब रात में अंधेरा रहता था, जानवरों का खतरा बना रहता था । प्रकाश नहीं था। भूख मिटाने के साधन बहुत कम थे उस समय के मानव कच्चा खाना ही खाते होंगे। इन्हीं कारणों ने आग की खोज की प्रेरणा दी होगी। आग की खोज से प्रकाश मिल गया। जानवरों का भय मिट गया। खाना पकाकर खाया जाने लगा।
13. सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर – देश-प्रेम के भाव से भरे कैप्टन चश्मे वाले के मन में देश पर बलिदान होने वालों के प्रति सम्मान का भाव है। सुभाष चन्द्र बोस के प्रति उसमें श्रद्धा है। इसीलिए वह उनकी प्रतिमा पर चश्मा लगाता है। उसके मन में देश के प्रति फौजियों जैसा ही भाव है इसीलिए उसे लोग कैप्टन कहते थे 14 बालगोबिन भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
15. लेखिका मन्नू भंडारी के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा ? (2)
उत्तर- लेखिका को दो व्यक्तियों ने विशेष रूप से प्रभावित किया। एक उनके पिता ने तथा दूसरी शिक्षिका शीला अग्रवाल ने । पिता गोरे रंग को महत्व देते थे जबकि लेखिका श्याम वर्ण की थीं। वे गोरे रंग की बड़ी बहिन से उनकी तुलना कर नीचा दिखाते थे इससे उनमें हीनता का भाव आ गया। पिताजी की इच्छा के कारण लोगों से विचार-विमर्श तथा देशभक्ति का भाव उनमें आया। शीला अग्रवाल ने साहित्यिक रुचि पैदा की तथा खुलकर अपनी बात कहने का साहस पैदा किया। 16. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है ? उत्तर - शहनाई मांगलिक अवसरों पर बजाई जाती है। इसीलिए इसे मंगलध्वनि अर्थात् वह ध्वनि जो मंगलकारी हो, कहा जाता है। यह ध्वनि प्रात:काल मंगला आरती के समय भी बजाई जाती है। बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर शहनाई की साधना में ही लगे रहे। उन्होंने शहनाई को फूँक से बजाए जाने वाले सुषिर वाद्यों का सरताज बना दिया। शहनाई वादन की उत्कृष्टता के कारण ही बिस्मिल्ला खाँ को भारतरत्न की उपाधि से नवाजा गया। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ हर मंगलकारी अवसर पर शहनाई बजाते थे। उन्होंने इसी कारण भारत का सर्वोत्कृष्ट सम्मान प्राप्त किया। इसीलिए उन्हें मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।
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