प्रैक्टिस सेट - B हिन्दी कक्षा - 10th (हल सहित) GAYATRI COACHING CLASSES BY PERSING NAGPURE SIR
गायत्री कोचिंग क्लासेस
पता - मैन बस स्टैंण्ड के पीछे शीतल ज्वेलर्स के सामने चन्दनवाड़ा रोड चौरई जिला - छिन्दवाड़ा
कक्षा 10वीं
विषय - हिन्दी
समय - 3घंटा पूर्णांक 75 विषय - हिन्दी
निर्देश -
1. सभी प्रश्न करना अनिवार्य है |
2. प्रश्न क्र. 1 से 05 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न है | जिनके लिए 1×30 = 30 अंक निर्धारित है |
3. प्रश्न क्र. 6 से 17 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक है | शब्द सीमा लगभग 30 शब्द है |
4. प्रश्न क्र. 18 से 20 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक है | शब्द सीमा लगभग 75 शब्द है |
5. प्रश्न क्र. 21 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक है | शब्द सीमा लगभग 120 शब्द है |
6. प्रश्न क्र . 06 से 23 तक सभी प्रश्नों आंतरिक विकल्प दिए गए है
2. प्रश्न क्र. 1 से 05 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न है | जिनके लिए 1×30 = 30 अंक निर्धारित है |
3. प्रश्न क्र. 6 से 17 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक है | शब्द सीमा लगभग 30 शब्द है |
4. प्रश्न क्र. 18 से 20 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक है | शब्द सीमा लगभग 75 शब्द है |
5. प्रश्न क्र. 21 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक है | शब्द सीमा लगभग 120 शब्द है |
6. प्रश्न क्र . 06 से 23 तक सभी प्रश्नों आंतरिक विकल्प दिए गए है
1 सही विकल्प का चयन कर लिखिए - (1x6-6)
i. प्रयोगवाद का प्रारम्भ माना जाता है।
(अ) सन् 1943 से (ब) सन् 1911 से (स) सन् 1963 से (द) सन् 1936 से
उत्तर :- (अ) सन् 1943 से
(अ) सन् 1943 से (ब) सन् 1911 से (स) सन् 1963 से (द) सन् 1936 से
उत्तर :- (अ) सन् 1943 से
ii. कृष्ण की संगति में रहकर भी उनके प्रेम से अछूते रहे-
(अ) ब्रजवासी (ब) उद्भव (स) गोपियाँ (द) अकूर
उत्तर :- (ब) उद्भव
iii. "विभावानुभावव्यभिचारी संयोगाद्रस: निष्पत्ति यह परिभाषा है-
(अ) आचार्य विश्वनाथ की (ब) मम्मट की (स) पं. जगन्नाथ की (द) भरतमुनि की
उत्तर :- (द) भरतमुनि की
iv. स्वयं प्रकाश जी ने पत्रिका का सम्पादन किया- -
(अ) वसुधा का (ब) जनवाणी का (स) कादम्बिनी का (द) सरस्वती का
उत्तर :- (अ) वसुधा का
v. जिन मूल शब्दों से मिलकर समास बना है उसमें से पहले पद को कहते हैं-
(अ) पूर्वापर (ब) पूर्वपद (स) उत्तर पद (द) मध्य पद
उत्तर :- (ब) पूर्वपद
vi माता का अंचल' पाठ में अभिव्यक्ति हुई है-
(अ) ग्रामीण जीवन की (ब) बाल मनोभावों की (स) माटीकला के विकास की (द) शैक्षिक अनुसंधान की
उत्तर :- (अ) ग्रामीण जीवन की
2. रिक्त स्थान में सही शब्द का चयन कर लिखिए- (1x6-6)
1. राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद रामचरितमानस के... ..........से लिया गया है। (बालकांड /अयोध्याकांड / सुंदरकांड )
उत्तर :- बालकाण्ड
ii. चार चरणों में समान मात्रा वाले छंद को......... कहते हैं।) (मात्रिक छंद / सममात्रिक छंद /विषम मात्रिक छंद)
उत्तर :- सममात्रिक छंद
iii. भावों को बढ़ाने या उद्दीप्त करने वाले पदार्थ........कहलाते हैं। (उद्दीपन / अनुभाव / विभाव)
उत्तर :- उद्दीपन
iv. रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में, ..............की आयु में छपने लगी थी। (15 वर्ष / 17 वर्ष / 18 वर्ष)
उत्तर :- 15 वर्ष
v. अर्थ के आधार पर वाक्य के ...........भेद होते है। (आठ/ तीन/चार)
उत्तर :- आठ
vi. गंतोक से ..........किलोमीटर की दूरी पर यूमथांग था। (149/139/159)
उत्तर :- 149
3. सही जोड़ी बनाकर लिखिए-
स्तम्भ (अ) स
1 नागार्जुन (क) एक धर्म चक्र (6)
॥ मेघ आए बन ठन के' में अलंकार. (ख) बहुत प्रिय (5)
iiii. कहानी के तत्व (ग) सावधानी (4)
iv एहतियात (घ) आधुनिक कबीर (1)
V गले का हार (ड) मानवीकरण अलंकार(2)
vi प्रेयर व्हील (च) चार
(छ) छ: (3)
(ज) दुर्घटना
4. एक वाक्य में उत्तर लिखिए (1x6-6)
i. कवि निराला ने बादलों की तुलना किससे की है ?
उत्तर- बालकल्पना से की है क्योंकि बच्चो की कल्पना मधुर होती है यह बदलती रहती है |
ii. गणों की संख्या कितनी होती है ?
उत्तर :- 8
iii. मन्नू भंडारी के पिता रसोई को क्या कहते थे ?
उत्तर :- भटियार खाना
iv. दो वर्णों के मेल को क्या कहते है ?
उत्तर :- संधि
v. मूर्खो में अल्पक्ष के महत्त्व के लिए कौन-सी लोकोक्ति है ?
उत्तर :- अंधो मे काना
vi. माता का अंचल कहानी के अनुसार माँ ने भोलानाथ के घावों पर क्या लगाया ?
उत्तर :- हल्दी पीसकर लगाया
5. सत्य / असत्य कथन लिखिए-(1x6=6)
i. संगतकार की आवाज में हिचक साफ सुनाई देती है। सत्य
ii.जहाँ अलोैकिक आश्चर्य का भाव उत्पन्न हो वहाँ वीभत्स रस होता है। असत्य
iii.एक संस्कृत व्यक्ति किसी नयी चीज की खोज नहीं करता है। असत्य
iv. न्याय के अनुसार न्याय करना न्यायशीलता है। सत्य
v. भोलानाथ का अधिकतर समय उनकी मैया के सानिध्य में गुजरता था। सत्य
vi. प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति लेखन में मदद करती है। सत्य
6. रीतिकालीन काव्य की कोई दो विशेषताएँ प्रवृत्तियाँ लिखिए ।
उत्तर :- रीतिकाल काव्य की विशेषता :-
(1) श्रृंगार वर्णन - रीतिकाल में श्रृंगार रस के संयोग और वियोग दोनों की प्रमुखता रही है।
(2) आश्रयदाताओं की प्रसन्नता पर केन्द्रित - अधिकतर इस समय के दरबारी कवि थे जो राजाओं की रुचि के अनुसार कविताएँ लिखते थे।
(3) लक्षण ग्रन्थों की रचना-इस काल में लक्षण ग्रन्थों की रचना हुई।
अथवा
प्रयोगवादी काव्य की कोई दो विशेषताएँ / प्रवृतियाँ लिखिए।
उत्तर :- प्रयोगवादी काव्य की दो विशेषताएँ -
(1) नये-नये प्रयोग किए गए हैं।
(2) नवीन उपमानों का प्रयोग किया है।
(3) प्रेम की भावनाओं का खुला चित्रण है।
(4) इस काव्य में बुद्धि की प्रधानता है।
7. सूरदास अथवा जयशंकर प्रसाद की काव्यगत विशेषताएं निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए- (2)
1. दो रचनाएँ ॥ कला-पक्ष
उत्तर :- सूरदास
1 दो रचनाएँ :- सूर सागर , सूर सारावली
2 कलापक्ष :- सूरदास ने बृज भाषा में साहित्य रचना प्रारंभ की। सूर की यह भाषा साहित्यिक होते हुए भी आम बोलचाल की भाषा के बहुत निकट है। मार्मिक तथा गंभीर भाव और विचार अभिव्यक्त करने में सूर की भाषा पूर्ण रूप से समर्थ है। सूर की भाषा में प्रसाद तथा माधुर्य गुण की प्रधानता है। शैली की दृष्टि से सूर ने गीतों की पदशैली को अपनाया है। अलंकार और छन्दों के उचित और कलापूर्ण प्रयोग के कारण आपकी रचनाएँ अधिक लोकप्रिय है।
अथवा
जयशंकर प्रसाद
(i) दो रचनाएँ :- आसूँ ,झरना ,कामायनी
(ii) कला-पक्ष - जयशंकर प्रसाद जी के काव्य की भाषा व्याकरणसम्मत, परिष्कृत एवं परिमार्जित खड़ी बोली है। उनकी भाषा में सहज प्रवाह एवं काव्य सौंदर्य है। उन्होंने रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा, संदेह, विरोधाभास आदि अलंकारों के साथ ही प्रकृति के सफल प्रयोग उन्होंने किए हैं।
8. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?
उत्तर- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा के हित का पूरा ध्यान रखना होना चाहिए। प्रजा को किसी प्रकार से नहीं सताया जाना चाहिए। राजा का दायित्व प्रजा की भलाई का ध्यान रखना है।
अथवा
राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद पाठ के आधार पर लक्ष्मण के स्वभाव की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :-राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद पाठ के आधार पर लक्ष्मण के स्वभाव विशेषताएँ :-
1. लक्ष्मण बहुत उग्र और प्रचण्ड हैं। उनकी जबान तीखी हैं।
2. वे व्यंग्य-वचनों से परशुराम को पीड़ित करते हैं।
3. अपने से बड़े तथा गुरू जैसे व्यक्ति को भी भला-बुरा कहने से बाज नहीं आते।
4. उनकी उग्रता और कठोर वचनों को सुनकर सभाजन भी उन्हें अनुचित कहते हैं।
9. कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला की आँख फागुन की सुन्दरता से क्यों नहीं हट रही है? लिखिए ?
उत्तर – उत्तर-फाल्गुन मास में प्रकृति का सौन्दर्य अपने चरम पर है। पेड़-पौधे पत्तों से लदे हैं। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूलों की शोभा बिखरी है। भीनी-भीनी सुगन्ध सभी ओर से आ रही है। प्रकृति की सुन्दरता इतनी मनोरम है कि उससे कवि की आँख हटना नहीं चाहती है।
अथवा
बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि नागार्जुन के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वे दाँत निकलते बच्चे को मुस्कुराते हुए देखकर प्रसन्नता से भर जाते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे की मुस्कान इतनी जीवन्त है कि यह मृत व्यक्ति में भी प्राण डाल सकती है। इस मुस्कान के प्रभाव से कठोर-से-कठोर पत्थर तथा काँटेदार वनस्पतियाँ भी मुलायम एवं कोमल हो उठती हैं।
10.महाकाव्य की कोई दो विशेषताएँ लिखिए ?
उत्तर :- महाकाव्य की विशेषताएँ :- -
(1) महाकाव्य में आठ या उससे अधिक सर्ग होते हैं। (2) महाकाव्य का नायक धीरोदत्त गुणों से युक्त होता है।
(3) इसने शांत वीर अथवा श्रृंगार रस में से किसी एक की प्रधानता होती है। (4) महाकाव्य में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
(5) इसमें अनेक छंदों का प्रयोग होता है।
उदाहरण- रामचरित मानस - तुलसीदास
कामायनी -जयशंकर प्रसाद
अथवा
विभाव एवं अनुभाव में कोई दो अंतर लिखिए।
उत्तर :- विभाव एवं अनुभाव में दो अंतर :-
क्र. स.
विभाव
अनुभाव
1
स्थायी भाव का जो कारण होता है उसे विभाव कहते है |
आश्रय की बाहरी चेष्टाओं काे अनुभाव कहते है |
2
विभाव दो प्रकार के होते है |
अनुभाव के चार भेद होते है |
11. दोहा छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। (2)
उत्तर- दोहा - परिभाषा -दोहा छंद के प्रथम और तृतीय चरणों में 13-13 और द्वितीय तथा चतुर्थ चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं। कुल 24 मात्राएँ होती हैं। इसके सम चरणों के अन्त में तगण अथवा जगण का होना जरूरी है।
उदाहरण –
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय |
जा तन की झाँई परै , स्याम हरित दुति होय ||
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार।
वरनौ रघुवर विमल जसु, जो दायक फल चार ॥
अथवा
अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर — अन्योक्ति अलंकार- जहाँ अप्रस्तुत कथन के द्वारा प्रस्तुत अर्थ का बोध कराया जाये वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है |
उदाहरण -
"माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार ।
फूले-फूले चुनि लिए, कालि हमारी बार ॥"
यहाँ पर बात तो अप्रस्तुत माली, कलियाँ, फूलों की कही गई है परन्तु बोध प्रस्तुत वृद्धजनों और प्रौढ़जनों का कराया गया है।
12. गद्य की प्रमुख एवं गौण विधाओं के नाम लिखिए। (2)
उत्तर :- गद्य की प्रमुख एवं गौण विधाओं के नाम :- निबन्ध , नाटक , एकांकी , उपन्यास , कहानी , जीवनी , आत्मकथा , संस्मरण , रेखाचित्र , रिपोर्ताज , गद्यकाव्य , आलोचना , यात्रावृत्त , डायरी ,पत्र
अथवा
रेखाचित्र एवं संस्मरण में कोई दो अंतर लिखिए।
उत्तर -
(I) दो रचनाएँ (ii) भाषा- शैली
उत्तर :- रामवृक्ष बेनीपुरी
(i) दो रचनाएँ :- 'चिता के फूल','गेहूँ बनाम गुलाब','माटी की मूरतें'
(ii) भाषा शैली :-
भाषा :- इनकी भाषा व्यावहारिक है। इसमें सरलता, सुबोधता और सजीवता पाई जाती है। मुहावरों और कहावतों से भाषा में सुन्दरता आ गई है।
शैली :- इनकी शैलियाँ निम्न प्रकार की हैं-
(1) वर्णनात्मक शैली :- इन्होंने किसी वस्तु अथवा घटना का वर्णन करते समय इस शैली का प्रयोग किया है। इस शैली की भाषा सरल, सुबोध है।
(2) भावात्मक शैली :- यह शैली इनकी प्रधान शैली है। इसमें भावों की प्रबलता और मार्मिकता है।
(3) प्रतीकात्मक शैली :- बेनीपुरी अपनी बात को सीधे-सीधे न कहकर प्रतीकों के माध्यम से कहते हैं। इनके निबन्धों में इस शैली का अधिक प्रयोग हुआ है।
(4) आलोचनात्मक शैली :- बेनीपुरी ने समीक्षा के समय आलोचनात्मक शैली का प्रयोग किया है।
अथवा
भदंत आनंद कौसल्यायन
(i) दो रचनाएँ :- (i) …………………… (ii) ………..………..
(ii) भाषा शैली :-
भाषा-लेखक कौसल्यायन की भाषा सरल व रोचक है। भाषा में कहीं-कहीं तत्सम, तद्भव, तथा ग्रामीण भाषा के शब्द भी प्रयोग किए हैं। सरल, सहज तथा बोलचाल की भाषा में लिखे गए निबन्ध तथा संस्मरण बहुत लोकप्रिय हैं।
शैली-आपने वर्णनात्मक शैली के साथ-साथ आत्मकथात्मक तथा संवादात्मक शैली का भी प्रयोग किया है।
उत्तर — मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि अभी लोगों के अंदर की देशभक्ति की भावना मरी नहीं है। भावी पीढ़ी इस धरोहर को सँभाले हुए है। बच्चों के अंदर देशप्रेम का जज्बा है, अतः देश का भविष्य सुरक्षित है।
अथवा
'बालगोबिन भगत' पाठ के आधार पर भगत के गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :- बालगोबिन भगत प्रभु भक्ति के मस्ती भरे गीत गाया करते थे। उनके गानों में सच्ची टेर होती थी, उनका स्वर इतना मोहक, ऊँचा और आरोही होता था कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें इस गीत को गुनगुनाते लगती थीं। खेतों में काम करने वाले किसानों के हाथ-पैर लय में चलने लगते थे। उनके संगीत में जादुई प्रभाव था। वह मनमोहक प्रभाव सारे वातावरण पर छा जाता था। यहाँ तक कि घनघोर सर्दी और गर्मियों की उमस भी उन्हें डिगा नहीं सकती थी।
15. सुषिर वाद्यों से क्या अभिप्राय है? किस वाद्य को सुषिर वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई है ?
उत्तर – उत्तर-फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य यन्त्र सुषिर कहलाते हैं। मुरली, वंशी, मुरछंग, शृंगी आदि इसी तरह के वाद्य हैं। इन वाद्यों में सुराख होता है जिसमें फूँक मारने से स्वर निकलता है। इन सभी सुषिर वाद्यों में शहनाई सबसे ज्यादा मीठे सरस स्वर वाली होती है। इसी वजह से शहनाई को सुषिर वाद्यों का शाह, शहंशाह कहा जाता है।
अथवा
वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है? (2)
उत्तर- अपने विवेक द्वारा जो व्यक्ति किसी नए तथ्य के दर्शन करता है, नयी खोज करता है, वही वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति है। वह व्यक्ति किसी-न-किसी उपयोगी आविष्कार के लिए प्रयत्न करता ही रहता है। उसकी सन्तान जिसे बिना किसी प्रयास के यह वस्तु प्राप्त हो गई वह सभ्य तो कही जा सकती है किन्तु संस्कृत नहीं। वास्तविक संस्कृत तो आविष्कार करने वाला ही होता है।
16. निम्नलिखित वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए-
(i) जो बात लोगों से सुनी गई हो उत्तर - अनुुश्रुति
(ii) कम खर्च करने वाला उत्तर :- मितव्ययी
अथवा
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए-
i. इति श्री होना
उत्तर – इति श्री होना – समाप्त होना
वाक्य में प्रयोग – महात्मा गांधी की मृत्यु के साथ ही एक युग की इतिश्री हो गई |
ii. टेढ़ी खीर होना
उत्तर — टेढ़ी खीर होना – कठिन कार्य होना।
प्रयोग – हिमालय पार करना टेढ़ी खीर है।
17. बच्चे माता- पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? लिखिए।
उत्तर- बच्चों का माता-पिता के प्रति होने वाला प्रेम विविध प्रकार से अभिव्यक्त होता है। बच्चे माता-पिता के साथ बात करके, इनके गालों को चूमकर, उनके साथ खेलकर, उनके साथ घूमने जाकर, अटकन-बटकन खेलकर, कहानी सुनाकर, मीठे स्वर में गीत गाकर तथा तोतली भाषा में बातें करके माता-पिता के प्रति होने वाले अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं। बच्चे माता-पिता पर अपना अधिकार मानते हैं इसलिए वे अपनी हर माँग उन्हीं से करते हैं। अपनी इच्छाओं की पूर्ति भी उन्हीं से कराते हैं। इस प्रकार माँग में उनका विरोध नहीं प्रेम भाव होता है।
अथवा
कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर-यूमथांग के मार्ग में एक और श्वेत पताकाएँ लगी थीं। किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु पर ये श्वेत पताकाएँ लगाई जाती हैं। किसी नये कार्य को करने के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। इन पताकाओं को हटाते नहीं हैं। इस प्रकार बौद्धधर्म को मानने वाले की मृत्यु के समय श्वेत तथा शुभ कार्य के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराते हैं।
18. निम्नलिखित काव्यांश का संदर्भ प्रसंग सहित भावार्थ लिखिए-
नाथ संभुधनु भंजनिहारा, होइहि केउ एक दास तुम्हारा ।।
आयिसु काह कहिअ किन मोही, सुनि रिसाई बोले मुनि कोही ।।
उत्तर —
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'क्षितिज' के पाठ राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद से लिया गया है। इसके रचयिता तुलसीदास है।
प्रसंग - शिव-धनुष भंग होने के बाद जब परशुराम खंडित धनुष देखकर आपे से बाहर हो जाते हैं और धनुष भंग करने वाले का पता पूछते हैं तब उनसे हुए राम के विनय वचन लक्ष्मण के व्यंग्य वचनों को यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
भावार्थ - क्रोधित परशुराम को राम उत्तर देते हुए कहते हैं कि हे नाथ! शिवजी का धनुष तोड़ने वाला आपका ही कोई एक दास होगा। आपकी क्या आज्ञा है, मुससे कहिए। यह सुनकर क्रोधी स्वभाव वाले मुनि गुस्से में बोलते हैं- सेवक तो वही है जो सेवा का कार्य करता है। शत्रु के समान कार्य करने वाले के साथ तो लड़ाई ही की जानी चाहिए। हे राम! सुनो, जिसने भी यह शिवधनुष तोड़ा है वह सहस्त्रबाहु के समान मेरा शत्रु है।
अथवा
बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले धुंघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत-छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
उत्तर –
संदर्भ:- यह पद्यांश हमारी पाठ्य - पुस्तक की ' उत्साह' कविता से लिया गया है | इसके कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है |
प्रसंग - इसमें कवि बादलों को गर्जना करने हेतु उनका आह्वान करता है|
भावार्थ – कवि कहते हैं कि हे बादलो ! तुम घनघोर गर्जना से समस्त आकाश को भर दो और सघन रूप में चारों ओर छा जाओ। तुम बच्चे की कल्पना की तरह विस्तृत बन जाओ और बिजली की सी सुन्दरता अपने हृदय में भरकर नवीन जीवन का संचार करने वाले बन जाओ। तुम अपने कठोर रूप को छिपा लो और नवीन कविता का वातावरण सभी ओर बना दो।
19. निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए- (3)
बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी जवानी जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। दुखी हो गए। पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुजरे।
उत्तर :-
संदर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्य - पुस्तक ने ' नेताजी का चाश्मा ' पाठ से लिया गया है | इसके लेखक स्वयं प्रकाश है |
प्रसंग-इसमें हालदार साहब की देशवासियों की स्वार्थी प्रवृत्ति तथा देश-प्रेम के अभाव पर चिन्ता व्यक्त हुई है।
व्याख्या-देश-प्रेम से भरे हालदार साहब पुन: पुन: विचार करते हैं कि इस देश में निवास करने वाली स्वार्थी जातियों के कार्यों का क्या परिणाम होगा। ये लोग देश के लिए अपने घर-परिवार, यौवन, जीवन आदि को न्यौछावर कर देने वालों का मजाक बनाते हैं। दूसरी ओर ये अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपने ईमान को बेचने के अवसरों की खोज में रहते हैं। इस स्वार्थी समाज की करतूतों के प्रति चिन्तित होते हुए हालदार साहब अत्यन्त दुःखी हो उठे
अथवा
काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित । काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य विश्वनाथ हैं। काशी में बिस्मिल्ला खाँ है। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिससे पंडित कंठे महाराज है, विद्याधरी है, बड़े रामदास जी हैं, मौजुद्दीन खाँ है व इन रसिकों से उपकृत होने वाला अपार जन समूह है।
उत्तर –
संदर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्य - पुस्तक ने ' नौबतखाने में इबादत ' पाठ से लिया गया है | इसके लेखक यतींद्र मिश्र हैं ||
प्रसंग – इसमें काशी की कला साधना के विषय में बताया गया है जिसके कारण उसकी खास पहचान है |
व्याख्या- काशी को भारतीय संस्कृतियों का संग्रहालय कहा जा सकता है। शास्त्रों में काशी की ‘आनन्द कानन’ अर्थात आनन्द प्रदान करने वाला वन कहा गया है। काशी में कलाधर हनुमान और नृत्य विश्वनाथ जैसे दर्शनीय मंदिर हैं। काशी में बिस्मिल्ला खाँ जैसे महान संगीतज्ञ हुए हैं। काशी नगरी का भारत के हजारों वर्ष प्राचीन ग्रन्थों में वर्णन मिलता है।
काशी के महत्व को दर्शाने वाली विभूतियों में कंठे महाराज, विद्याधरी, बड़े रामदास और मौजुद्दीन जैसे कलामर्मज्ञ और रसिक लोग रहते आए हैं। इस काशी में निवास करने वालों की सभ्यता, शिष्टता और बोली सभी भिन्न हैं। इन लोगों के त्योहार, शोक प्रदर्शन के रूप तथा गाए जाने वाले लोकगीत भी अपनी विशेषताओं से युक्त हैं।
20. समय का सदुपयोग' विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :- समय का सदुपयोग
समय बहुत ही मूल्यवान वस्तु है और समय किसी के लिए नहीं रुकता। जो वक्त रहते समय का सदुपयोग नहीं करता वह जीवन में सदैव पछताता है। समय का सदुपयोग करने वाला इंसान जीवन में सदा उन्नति करता है। समय का सदुपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। वक्त रहते अपना कार्य पूर्ण करके मोबाइल, टी.वी. में समय व्यर्थ न करके। एक मनुष्य का धर्म उसका कर्म होता है जिसको उसे समय के अंतर्गत ही करना होता है। मनुष्य अगर अपना ध्यान सिर्फ कर्म पर केंद्रित करता है तो वह समय का सदुपयोग करता है। समय के दुरूपयोग के भी अनेक खतरे हैं जैसे- समय के दुरुपयोग से मनुष्य का पूर्ण जीवन समाप्त हो सकता है, मनुष्य के स्वास्थ को भी इससे बहुत बड़ा खतरा है जैसे अधिक समय मोबाइल पर व्यतीत करने से और अपना कार्य पूर्ण न करने से मनुष्य की आँखों को नुकसान पहुँचता है, एक समय सारिणी का पालन न करके मनुष्य अपना कोई भी कार्य समय पर खत्म नहीं कर पाता और असफलता प्राप्त करता है। जो समय का आदर व सदुपयोग करता है वह जीवन नई ऊँचाइयों को प्राप्त करता है।
अथवा
विज्ञापन किसे कहते है ? विज्ञापन तैयार करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ? (3)
उत्तर –- विज्ञापन – विज्ञापन' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- 'वि' और 'ज्ञापन'। 'वि' का तात्पर्य है-विशेष और 'ज्ञापन' का तात्पर्य है- जानकारी या सूचना । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जिसे विशेष रूप से सूचित किया जाए उसे विज्ञापन कहते हैं। वर्तमान समय में विज्ञापन उत्पादक एवं उपभोक्ता के मध्य संप्रेषण का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है।
विज्ञापन-लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1.कम से कम शब्दों में विज्ञापन होना चाहिए।
2. शब्दों में गागर में सागर भरने की क्षमता होनी चाहिए।
3. भाषा सरस, रोचक तथा प्रभावपूर्ण होनी चाहिए।
4. विज्ञापन की भाषा काव्यात्मक हो तो बेहतर रहता है।
21. निम्नलिखित अपठित काव्यांश अथवा गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (4)
बची हुई जिंदगी का एक टुकड़ा है मेरे पास ।
इसे मैं अंधेरे से छीन कर लाई हूँ।
देर तो हो गई है, सन्नाटा कितना ही भयानक हो
उसमें भटकते स्मृतियों के पदचाप,
अपनी आहट से हमें जगा देते हैं।
इसमें फूटेंगी सुबह की किरणें मुस्कराती कोपलों से
प्रश्न
i.उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
ii.स्मृतियों की आहट से क्या अनुभव होता है ?
iii.उपर्युक्त काव्यांश का भावार्थ लिखिए।
अथवा
वैदिक काल से ही हिमालय पहाड़ को बहुत पवित्र माना जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि हिमालय के पहाड़ों का दृश्य अति सुंदर है। इसकी विशालता देखकर मन आनंद और कृतज्ञ हो जाता है। ऐसा लगता है कि यह विशाल सृष्टि ईश्वर की देन है। सारी सृष्टि के प्रति समभाव जागृत होता है। वस्तुतः यह सृष्टि कोरी कल्पना या आध्यात्मिक नहीं है। भारतवर्ष में जलवायु का सामंजस्य हिमालय बैठाता है। उत्तरी भाग को पानी देने वाला है यहाँ बद्रीनाथ, केदारनाथ गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे पवित्र तीर्थ तथा जीवनदायिनी
पवित्र नदियाँ है।
प्रश्न-
i. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :- हिमालय की महत्ता / हिमालय की विशालता।
ii. किस काल से हिमालय को पवित्र माना जाता है ?
उत्तर :- वैदिक काल से ही हिमालय को पवित्र माना जाता है |
iii.उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
22. परीक्षा काल में ध्वनि विस्तारक यंत्र पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु जिला अधिकारी को आवेदन पत्र लिखिए। (4)
उत्तर :-
प्रति,
जिलाधीश महोदय
छिन्दवाड़ा, (मध्य प्रदेश)
विषय: ध्वनि प्रदूषण रोकने के संबंध में।
महोदय,
विनम्र निवेदन है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षाओं का समय निकट है हम छात्र अपने अध्ययन में व्यस्त हैं, परंतु जगह-जगह लाउडस्पीकरों की आवाज से हमारे अध्ययन में दिक्कत होती है। धार्मिक कार्यक्रमों, सभा और दुकानों में निर्बाध रूप से लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं । इससे ध्वनि प्रदूषण होता है और हम एकाग्र चित्त होकर अध्ययन नहीं कर सकते।
अतः नगर के हजारों छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ध्वनि विस्तारक यंत्रों का परीक्षा अवधि में प्रयोग, प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश जारी करें।
धन्यवाद!
भवदीय
शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विधालय
संध्या वर्मा
दिनांक – 05/10/2024
अथवा
अपने वृद्ध दादा-दादी के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए अपने पिताजी को पत्र लिखिए।
23. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर रूपरेखा सहित सारगर्भित निबंध लिखिए
i. विद्यार्थी जीवन में नैतिक मूल्यों का महत्त्व
ii.पर्यावरण प्रदूषण कारण एवं निदान
iii.स्वच्छ भारत अभियान
iv. साहित्य एवं समाज
५. जल ही जीवन है
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