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वार्षिक परीक्षा मे आने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 


प्रश्न  निर्देश :- 

(i) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
(ii) प्रश्न क्रमांक 01 से 05 तक 32 वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं। प्रत्येक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हेतु 01 अंक निर्धारित है।
(iii) प्रश्न क्रमांक 06 से 23 तक में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
(iv) प्रश्न क्रमांक 06 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए 02 अंक हैं और प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 30 शब्दों में लिखना है।
(v) प्रश्न क्रमांक 16 से 19 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए 03 अंक हैं और प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 75 शब्दों में लिखना है।
(vi) प्रश्न क्रमांक 20 से 22 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए 04 अंक हैं और प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 120 शब्दों में लिखना है।
(vii) प्रश्न क्रमांक 23 के लिए प्रदत्त मानचित्र में अपना उत्तर अंकित करें। इस प्रश्न के लिए 04 अंक निर्धारित है।


1. निम्नलिखित प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए___                                      1×6=6 

(1) हड़प्पा स्थल से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं 

(अ) बनावली (ब) कालीबंगन

 (स) धोलावीरा (द) लोथल

उत्तर - (ब) कालीबंगन

1. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर कौन थे ?
(अ) महात्मा बुद्ध        (ब) महावीर स्वामी
 (स) पार्श्वनाथ.            (द) ऋषभदेव ।

उत्तर -  (ब) महावीर स्वामी

2.संथाल विद्रोह का नेता कौन था ?

(अ) रामनायक  (ब) बिरसा मुंडा,

 (स) सिधू मांझी  (द) बाबा रामदास ।

उत्तर - (स) सिधू मांझी

3.पाटलिपुत्र किस साम्राज्य की राजधानी थी ?

(अ) मगध (ब) सातवाहन (स) चेदि  (द) कुषाण।

उत्तर - (अ) मगध 

हम्पी के भग्नावशेष प्रकाश में लाए गए 

(अ) कॉलिन मेकेन्जी द्वारा (ब) जॉन मार्शल द्वारा (स) कनिंघम द्वारा (द) टैवेर्नियर द्वारा 

4. गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ था ?
(अ) लुम्बिनी    (ब) बोधगया  
(स) सारनाथ   (द) कुशीनगर।
उत्तर - 
(अ) लुम्बिनी

5. हड़प्पा सभ्यता की खोज कब हुई थी ?
(अ) 1921 ई.        (ब) 1924 ई.,
(स) 1876 ई.          (द) 1840 ई.।
उत्तर - (अ) 1921 ई.    

6.सिन्धु घाटी सभ्यता के स्थल से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं-

(अ) बनावली,   (ब) कालीबंगन,

(स) हड़प्पा,       (द) मांडा।

उत्तर - (ब) कालीबंगन,

) संविधान सभा में हिन्दी को संविधान निर्माण की भाषा के रूप में उपयोग हेतु पुरजोर आवाज उठाई

 (अ) एन. जी. रंगा (ब) बी. पोकर, बहादुर (स) श्रीमती दुर्गाबाई (द) आर. वी. धुलेकर

7.महाभारत की रचना किसने की थी ?

(अ) वाल्मिकी (ब) वेदव्यास (स) तुलसीदास (द) कबीरदास 

उत्तर -  (ब) वेदव्यास

8. ब्रिटिश संसद में पाँचवीं रिपोर्ट प्रस्तुत की गई-

(अ) 1793 ई.,(ब) 1813 ई. (स) 1875 ई. (द) 1850 ई.।

ans -ब) 1813 ई. (

ऋग्वेद का संकलन हुआ

 (अ) 1500-1000 ई.पू. (ब) 1000-500 ई.पू. 

(स) 2500-2000 ई.पू. (द) 500-100 ई.पू. 

उत्तर - (अ) 1500-1000 ई.पू.

9.     1857 के विद्रोह की शुरूआत हुई थी -

  (अ) मेरठ  (ब) झाँसी  (स) लखनऊ  (द) कानपुर।

उत्तर -   (अ) मेरठ

10. महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण नेतृत्व में तैयार हुआ-
(अ) बी. एस. सुकथांकर  (ब) बी. बी. लाल,
 (स) वेदव्यास,              (द) कनिंघम ।
उत्तर - (अ) बी. एस. सुकथांकर  

11. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हुई-

(अ) 1336 ई. (ब) 1346 ई.,(स) 1325 ई.  (द) 1351 ई.।

उत्तर - अ) 1336 ई

 12. कौन से वंश को उनके मातृनाम से चिह्नित किया जाता था ?

(अ) मौर्य  (ब) गुप्त  (स) सातवाहन  (द) शक 

उत्तर - (ब) गुप्त

13. शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह कहाँ स्थित है ?

(अ) मुल्तान(ब) दिल्ली (स) अजमेर (द) अजोधन।

उत्तर - (स) अजमेर

  ( )'रिहला' के लेखक हैं 

(अ) अल-बिरूनी (ब) इब्न बतूता (स) मनूकी (द) बाबर

14.अबुल फजल कौन थे ?

(अ) अकबर का दरबारी कवि,

(ब) आइन-ए-अकबरी का लेखक,

(स) अकबरनामा का लेखक,

(द) उपर्युक्त सभी सही हैं।

उत्तर  - (द) उपर्युक्त सभी सही हैं।

15.फ्रांस्वा बर्नियर कहाँ का रहने वाला था ?

(अ) यूरोप (ब) फ्रांस (स) इंग्लैण्ड (द) पुर्तगाल।

इस्तमरारी बन्दोबस्त लागू किया गया

 (अ) मुम्बई में (ब) पंजाब में (स) बंगाल में

 (4) मद्रास में 

16. बौद्ध ग्रंथों के अनुसार सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक कौन था ?

(अ) महावीर स्वामी,(ब) गौतम बुद्ध,(स) अशोक,(द) बिन्दुसार

उत्तर - (स) अशोक

(17) गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ था ?

(अ) लुम्बिनी    (ब) बोधगया 

(स) सारनाथ   (द) कुशीनगर।


18.बौद्ध संघ में रहने वाले लोगों के लिए नियमों का संग्रह था।

(अ) सुत्तपिटक,(ब) अभिधम्म पिटक,(स) विनय पिटक,(द) महावंश।

उत्तर - (स) विनय पिटक



      खाली स्थान चुनकर भरिए   

1) भगवतगीता में....श्रीकृष्ण.... ने उपदेश दिये थे।

2) गौतम बुद्ध के बचपन का नाम...सिद्धार्थ..... था।)

3) सेंट जॉर्ज किला ...मद्रास (चेन्नई),........शहर में स्थित है। 

4)  साँची के स्तूप का निर्माण...सम्राट अशोक.... ने करवाया था। 

5) ....मनुस्मृति.....में विवाह के आठ प्रकारों का वर्णन है। 

 (6) कुरु महाजनपद की राजधानी .....इन्द्रप्रस्थ... थी।

7) जैन परम्परा के अनुसार महावीर स्वामी...चौबीसवें..... वें तीर्थंकर थे। 

 (8) किताब-उल-हिन्द .....अल बिरूनी...की रचना है।

 (9) शाह नहर की मरम्मत ...शाहजहाँ....के शासनकाल में हुई। 

(10) दक्कन विद्रोह ...पुणे.....जिले से प्रारम्भ हुआ था। 

(11) चंपारन सत्याग्रह...महात्मा गाँधी.... द्वारा किया गया।

(12) शाही नौ सेना के सिपाहियों ने सन् ...1946 ई.,....में विद्रोह किया।

(13) भारत देश.....15 अगस्त... 1947 ई. को स्वतंत्र हुआ। थी।

 (14) सिन्धु घाटी सभ्यता में बाट ...चर्ट.....नामक पत्थर से बनाये जाते थे। )

15) अधिकांश महाजनपद पर ..राजतंत्र........का शासन होता था।

 

 16) 1857 की क्रान्ति का प्रारम्भ ...मेरठ छावनी......से हुआ था।

 17) महाभारत में श्लोकों की संख्या...एक लाख... है। 18)  भगवद्गीता में....श्रीकृष्ण....... ने उपदेश दिये थे। 

19) सुल्तान जहाँ बेगम की शासिका.....भोपाल.... थी।

20) खान अब्दुल गफ्फार खान को..सीमान्त.... गाँधी कहा जाता था। 



         सही जोड़ी बनाइए- 1×6=6.   

'अ'                           'ब' 

       1. देवपुत्र    -      कुषाण शासक 

       2. रिहला     -  इब्नबतूता

3. वी. एस. सुकथांकर   → महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण

     4. किताब उल हिन्द.      - अलबरूनी

 5. विनय पिटक → बुद्ध की शिक्षाएँ (नियमावली)

     6. कमल महल          विजयनगर

      7. सिंह शीर्ष - सारनाथ

      8.इब्नबतूता   - मोरक्को

     9.आजीवक परम्परा  -  मख्खलि गोसाल

    10.रैयतवाड़ी - औपनिवेशिक राजस्व प्रणाली 

    11.अमीर खुसरो - मध्यकालीन महान कवि एवं लेखक 

      12.शंकरदेव - कीर्तन और सत्संग

    13.वीरशैव परम्परा - कर्नाटक

      14. जिंस-ए-कामिल - सर्वोत्तम फसलें

      15.विशाल स्नानागार -  मोहनजोदड़ो

       16. सिन्धु मांझी - संथाल विद्रोह 

        17.आइने-ए-अकबरी   अबुल फजल

       18.गुरुनानक - ननकाना

      19.अमरनायक  - सैनिक कमाण्डर



    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक वाक्य में लिखिए-1×7=7   

 (1) खानकाह का नियन्त्रक कौन होता था ? 

उत्तर - सूफी पीर,

 (2) 'ये गिलास फल एक दिन हमारे ही मुँह में आकर गिरेगा' यह कथन किसका है ? 

उत्तर - लॉर्ड डलहौजी

(3) लिंगायत सम्प्रदाय (वीरशैव) में किसकी पूजा की जाती है ?

उतर - शिव

(4) सिंधु घाटी सभ्यता के कोई दो प्रमुख स्थलों के नाम लिखिए।

उत्तर - हड़प्पा और मोहनजोदड़ो

 (5) ताल्लुकदार का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?

उत्तर - वह व्यक्ति जिसके साथ ताल्लुक अर्थात सम्बन्ध हो, 

(6) संथाल विद्रोह का नेता कौन था ?

उत्तर - सिधू मांझी

(7)सहायक संधि किसके द्वारा प्रारम्भ की गई थी ?

उत्तर - लॉर्ड वेलेजली

 (8) 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का तात्कालिक कारण क्या था ?

उत्तर - चर्बी वाले कारतूस। 

  (9) सांची की खोज कब हुई ? 

उत्तर - 1818 ई., 

(10) कौन मुगलकालीन शहरों को 'शिविर नगर' कहता है  

उत्तर - फ्रांस्वा वर्नियर

(11) फतेहपुर सीकरी का निर्माण किसने करवाया था ? 

उत्तर - अकबर

(12) आइन-ए-अकबरी की रचना किसने की ? 

उत्तर - अबुल फजल

(13) क्रिप्स मिशन कब भारत आया ? 

उत्तर 1942 ई., 

(14) मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई थी ?

उत्तर - 1906 ई. में, 

(15) हड़प्पा सभ्यता के सबसे लम्बे अभिलेख में कितने चिन्ह है ?

उत्तर - लगभग 26 चिन्ह

 (16) प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख की रचना किसने की ? 

उत्तर - हरिषेण ने।

(17)भारत छोड़ो आन्दोलन कब शुरू हुआ था ?

उत्तर -1942 ई., 

 18)लॉर्ड कार्नवालिस कौन था ?

उत्तर - गवर्नर जनरल

 (19) "सरकारें सरकारी कागजों से नहीं बनती। सरकार जनता की इच्छा की अभिव्यक्ति होती है।" यह कथन किसने कहा था ?

उत्तर -पं. जवाहरलाल नेहरू।

 20) मुस्लिम लीग ने 'प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस' कब मनाया ? 

उत्तर - 16 अगस्त, 1946 ई

21)प्लासी के युद्ध में किसकी विजय हुई थी ?

उत्तर - ईस्ट इंडिया कम्पनी,


   निम्नलिखित वाक्यों में सत्य/असत्य लिखिए- 1×6=6        


1.1976 ई. में हम्पी को राष्ट्रीय महत्व के स्थल के रूप में मान्यता मिली। 
उत्तर - असत्य
(2) सुदर्शन झील की मरम्मत रुद्रदायन ने करवायी।
उत्तर  - सत्य
(3) मौर्य शासक अपने नाम के आगे 'देवपुत्र' की उपाधि लगाते थे।
उत्तर - असत्य
 (4) जर्मीदारों की निजी भूमि मिल्कियत कहलाती थी। 
उत्तर - सत्य
(5) एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना विलियम जोंस ने की थी।
उत्तर - सत्य
 (6
) दाण्डी मार्च-1930 ई. में सुभाष चन्द्र बोस द्वारा प्रारम्भ किया गया था।
उत्तर - असत्य
 (7) संविधान सभा में 'उद्देश्य प्रस्ताव' जवाहर लाल नेहरू ने प्रस्तुत किया।
उत्तर -  सत्य
(8) 1929 ई. में कांग्रेस ने अपना वार्षिक अधिवेशन लाहौर में किया। 
उत्तर - सत्य
(9) विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में हुई थी।
उत्तर- सत्य
(10)औपनिवेशिक काल में नियमित रूप से दशकीय जनगणना 1881 ई. से शुरू हुई। 
उत्तर - सत्य
(11) विजयनगर राज्य का सबसे प्रसिद्ध शासक कृष्णदेवराय था। 
उत्तर - सत्य
 (12) मीराबाई के गुरु कबीरदास जी थे।
उत्तर - असत्य
 (13) प्रयाग प्रशस्ति की रचना हरिषेण ने की थी। 
उत्तर - सत्य
(14) कांग्रेस का विभाजन 1916 ई. में हुआ था। 
उत्तर - असत्य
(15) असहयोग आन्दोलन की शुरूआत 1930 में हुई।
उत्तर - असत्य
 (16) संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव भीमराव अम्बेडकर ने प्रस्तुत किया था।
उत्तर - असत्य
 (17) फतेहपुर सीकरी का निर्माण अकबर ने करवाया था।
उत्तर - सत्य
(18) असहयोग आंदोलन सन् 1920 में सुभाषचन्द्र बोस द्वारा प्रारम्भ किया गया था। 
उत्तर - असत्य
 









    निर्धारित अंक -2   

      अति लघुउत्तरीय प्रश्न        

 प्रश्न 1. मौर्य साम्राज्य के कोई चार प्रमुख ऐतिहासिक स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर - मौर्य साम्राज्य के कोई चार प्रमुख ऐतिहासिक स्रोत निम्नांकित हैं —
(1) मेगस्थनीज की इण्डिका       (2) कौटिल्य का अर्थशास्त्र 
(3) विशाखादत्त का मुद्राराक्षस    (4) अशोक के अभिलेख 

 प्रश्न 2.   जैन धर्म के पंचव्रत के नाम लिखिए।
उत्तर - जैन धर्म के पंचव्रत निम्नांकित हैं-
(1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय, 
(4) अपरिग्रह, (5) ब्रह्मचर्य।

प्रश्न 3.वैष्णववाद में किसकी पूजा की जाती है ?

उत्तर- वैष्णववाद में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

प्रश्न 4. गाँधीजी ने 'चरखा' के कौन-कौन से लाभ बताए ? कोई दो लिखें।

उत्तर - उत्तर-गाँधी जी ने 'चरखा' के निम्नांकित लाभ बतलाए-

(1) चरखा गरीबों को पूरक आमदनी प्रदान करके उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलम्बो बना सकता है।

(2) चरखा आर्थिक प्रगति का प्रतीक, इसीलिए उन्होंने इसे राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में चुना। 

प्रश्न 5.प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर कहाँ स्थित है एवं किसकी पूजा की जाती है ?

उत्तर- प्रसिद्ध जगन्नाथ मन्दिर ओडिशा राज्य के पुरी नामक नगर में स्थित है, यहाँ भगवान जगन्नाथ (अर्थात् विष्णु के स्वरूप श्रीकृष्ण) की पूजा की जाती है।

प्रश्न 6 अकबरनामा' ग्रन्थ के रचनाकार कौन हैं और यह ग्रन्थ कितने भागों में विभाजित है?

उत्तर- 'अकबरनामा' की रचना मुगल सम्राट अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने की थी। यह ग्रन्थ तीन भागों (जिल्दों) में विभक्त है।

प्रश्न.7 अमरावती का स्तूप कहाँ स्थित है एवं इसकी खोज का श्रेय  किसे दिया जाता  है | 

 उत्तर - उत्तर-अमरावती का स्तूप आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के अमरावती गाँव में स्थित है। इस स्तूप की खोज का श्रेय एक अंग्रेज अधिकारी कॉलिन मैकेंजी को दिया जाता है। 

प्रश्न 8.जजमानी व्यवस्था क्या थी ? 

उत्तर-17वीं शताब्दी में बंगाल में 'जजमानी' नामक व्यवस्था प्रचलन में थी। जजमानी व्यवस्था के अन्तर्गत बंगाल में जमींदार लोहारों, बढ़इयों और सुनारों को उनकी सेवाओं के बदले में रोज का भत्ता और खाने के लिए नगदी दिया करते थे।

प्रश्न 9 मौर्य साम्राज्य के कोई पाँच प्रमुख राजनीतिक केन्द्रों के नाम लिखिए

उत्तर - मौर्य साम्राज्य के कोई पाँच प्रमुख राजनीतिक केन्द्रों के नाम —

(1) पाटलिपुत्र   (2) तक्षशिला   (3) कपिशा   (4) तोषाली   (5) उज्जैन 

प्रश्न 10 . बहिर्विवाह क्या होता है ?

उत्तर - गोत्र कुल से बाहर होने वाला विवाह बहिर्विवाह कहलाता हैं |

प्रश्न .11 अंतर्विवाह प्रथा क्या होती है ?

उत्तर - अंतर्विवाह के अन्तर्गत विवाह समूह के मध्य ही होते थे | यह समूह एक कुल अथवा एक जाति या फिर एक ही स्थान पर रहने वाले लोगों का हो सकता था | 

प्रश्न .12  महावीर जी की कोई दो शिखाओं को लिखिए।

उत्तर - 

(1) ईश्वर में अविश्वास- जैन धर्म ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं करता। जैन धर्म के अनुसार संसार अनादि और अनन्त है। जैन धर्म ईश्वर के स्थान पर तीर्थंकारों में आस्था तथा विश्वास रखता है।

(2) कर्म सिद्धान्त में विश्वास - जैन धर्म के अनुसार मनुष्य को उत्तम कर्म करने चाहिए, क्योंकि उसे अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है।

प्रश्न . 13  करइक्काल अम्मइयार कौन थी ?

उत्तर - करइक्काल अम्मइयार, नयनार सन्त परम्परा से सम्बन्धित भक्त थीं। ये शिव को अपना आराध्य मानती थीं और इन्होंने अपने चरम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या का मार्ग अपनाया था।

प्रश्न .14 'राजा' शब्द से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर - औपनिवेशिक काल में शक्तिशाली जमींदारों के लिए प्रायः 'राजा' शब्द का प्रयोग किया जाता था | 

प्रश्न . 15 भारतीय संविधान में अनुच्छेद 356 का अर्थ क्या है ?

उत्तर - भारतीय संविधान में अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत केन्द्र सरकार को गवर्नर की सिफारिश पर राज्य सरकार के सभी अधिकार अपने हाथ में लेने का अधिकार दिया गया है।

प्रश्न .16 बुकानन कौन था ?

उत्तर - फ्रांसिस बुकानन एक चिकित्सक था। वह भारत आया था, उसने 1794 ई. से 1815 ई. तक बंगाल में चिकित्सा सेवा में कार्य किया था। उसने कुछ वर्षों तक भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली के शल्य चिकित्सक के रूप में भी कार्य किया। बंगाल सरकार के अनुरोध पर उसने ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि का विस्तृत सर्वेक्षण किया था।

प्रश्न .17 शाही भारतीय नौ सेना ने कब और क्यों विद्रोह किया ?  

उत्तर-शाही भारतीय नौ सेना ने 1946 ई. में विद्रोह किया। विद्रोह का तात्कालिक कारण, रहने की स्थिति और भोजन थे। भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह किया था।

प्रश्न .18 गाँधीजी ने नमक कर कानून कब और कहाँ तोड़ा ?

उत्तर-गाँधीजी ने 6 अप्रैल, 1930 ई. को दाण्डी में नमक कानून को तोड़ा। यहीं से सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ हुआ।

प्रश्न . 19 हिन्दुस्तानी (भाषा) किसे कहते हैं ?

उत्तर - हिन्दुस्तानी भाषा की उत्पत्ति हिन्दी और उर्दू भाषा के मेल से हुई थी। हिन्दुस्तानी भारतीय जनता के बहुत बड़े भाग की भाषा थी।

प्रश्न . 20  बी. एन. राव कौन थे ?

उत्तर-जस्टिस बी. एन. राव भारत सरकार के संवैधानिक सलाहकार थे। संविधान निर्माण के कार्य में इन्होंने महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया था।

 प्रश्न 21.  हंसा मेहता ने महिलाओं के लिए किन अधिकारों की माँग की ?

उत्तर  - हंसा मेहता ने महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय की माँग की। हंसा मेहता ने महिलाओं के लिए उस बराबरी की माँग की जिसके बिना पुरुष व महिलाओं के बीच पारस्परिक आदर, समझ और वास्तविक सहयोग सम्भव नहीं है।

प्रश्न . 22 फ्रांस्वा बर्नियर कौन था ?

उत्तर- फ्रांस्वा वर्नियर, सत्रहवीं शताब्दी में भारत आने वाला एक यूरोपीय यात्री था। फ्रांस्वा बर्नियर एक चिकित्सक, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक और इतिहासकार था। वह बारह वर्षों तक भारत में रहा।

प्रश्न .23 केन्द्रीय सूची क्या है ?

उत्तर- संविधान के मसौदे के विषयों की तीन सूचियाँ बनाई गई थीं- पहली-केन्द्रीय सूची, दूसरी-राज्य सूची और तीसरी समवर्ती सूची। केन्द्रीय सूची में दिए गए विषयों पर केन्द्र सरकार को कानून बनाने का अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है | 

प्रश्न .24 पृथक निर्वाचिका के प्रस्ताव पर सरदार पटेल ने क्या तर्क दिया ?

उत्तर - पृथक निर्वाचिका के प्रस्ताव पर सरदार पटेल का तर्क था कि आजादी के बाद पृथक निर्वाचिका का विचार देश की एकता एवं अखण्डता के लिए घातक है। विभाजन के बाद भी पृथक निर्वाचिका की व्यवस्था बनाए रखी गई तो यहाँ जीने का कोई मतलब नहीं होगा। सरदार पटेल ने पृथक निर्वाचिका के प्रस्ताव का दृढ़ता से विरोध किया।

प्रश्न .25 फयान्स क्या था ?

उत्तर-फयान्स, घिसी हुई रेत एवं रंग और चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पकाकर बनाया जाने वाला पदार्थ था, इस पदार्थ को बनाने की प्रक्रिया जटिल थी। फयान्स से बने पात्र सम्भवतः कीमती माने जाते थे। इन पात्रों को विलासिता की वस्तुओं के अन्तर्गत रखा गया है।

प्रश्न 26. लोकतन्त्र की सफलता के लिए गोविन्द वल्लभ पन्त ने क्या विचार दिया ?

उत्तर - गोविन्द वल्लभ पन्त के अनुसार यदि आप लोकतन्त्र की सफलता चाहते हैं तो आपको आत्मानुशासन की कला से प्रशिक्षित होना होगा। इस कला से आप निष्ठावान नागरिक बनेंगे। समुदाय और स्वयं को बीच में रखकर सोचने की आदत का परित्याग करना होगा। इससे ही लोकतन्त्र आगे बढ़ेगा।

प्रश्न 27. सगुण और निर्गुण भक्ति परम्परा क्या थी ?

उत्तर - भारतीय संस्कृति में भक्ति (उपासना) की दो परम्पराएँ- सगुण और निर्गुण प्रचलित हैं। सगुण भक्ति परम्परा में ईश्वर के साकार अर्थात् मूर्त रूप की उपासना की जाती है, इसके अन्तर्गत शिव, विष्णु तथा उनके अवतार व देवियों की पूजा की जाती है। निर्गुण भक्ति परम्परा में ईश्वर के निराकार अर्थात् अमूर्त रूप की उपासना की जाती है।

प्रश्न 28.नलयिरा दिव्य प्रबंधम् के बारे में लिखिए।

उत्तर- 'नलयिरा दिव्य प्रबंधम्' अलवार सन्तों का एक मुख्य काव्य संकलन है। इसे तमिल वेद के रूप में जाना जाता है। इस ग्रन्थ को ब्राह्मणों द्वारा पोषित संस्कृत के चारों वेदों के समान महत्वपूर्ण माना जाता है। इस ग्रन्थ में बारह अलवार सन्तों की रचनाओं का संकलन है और इसमें चार हजार पद हैं | 

प्रश्न 29.ग्रिड पद्धति क्या थी ?

उत्तर - ग्रिड पद्धति का प्रयोग हड़प्पा सभ्यता के नगर नियोजन में किया गया था। हड़प्पा सभ्यता के नगर नियोजन की महत्वपूर्ण विशेषता इसकी सुव्यवस्थित सड़कें व नालियाँ थीं। नगरों में सड़कों और गलियों का निर्माण लगभग एक 'ग्रिड' पद्धति में किया गया था, जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती र्थी। सड़कें पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर जाती थीं और नगर को अनेक खण्डों में विभक्त करती थीं।

प्रश्न 30.अमर नायक कौन थे ?

उत्तर- विजयनगर साम्राज्य के अन्तर्गत' अमर नायक' सैनिक कमाण्डर थे। इन्हें शासक द्वारा प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र दिये जाते थे। ये लोग किसानों, शिल्पकर्मियों तथा व्यापारियों से भू-राजस्व तथा अन्य कर वसूल करते थे। ये लोग विजयनगर शासकों को एक प्रभावी सैन्य शक्ति प्रदान करने में सहायक होते थे।

प्रश्न 31.तालीकोट युद्ध कब और किसके बीच हुआ ?

उत्तर-तालीकोट का युद्ध 1565 ई. में विजयनगर के प्रधानमंत्री रामराय और दक्षिण की मुस्लिम रियासतों के संघ के मध्य लड़ा गया था।


प्रश्न 32 . "लाल, बाल और पाल" के रूप में कौन जाने जाते थे ? 

उत्तर - भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चन्द्र पाल को 'लाल, बाल और पाल' के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न 33 मुगलकाल में जमा और हासिल क्या थीं ?

उत्तर- मुगल भू-राजस्व व्यवस्था के अन्तर्गत राज्य द्वारा भू-राजस्व की निर्धारित धनराशि अथवा रकम को 'जमा' कहा जाता था जबकि वास्तविक वसूली अर्थात् वास्तव में वसूल की जाने वाली रकम 'हासिल' के नाम से जानी जाती थी।

प्रश्न 34 लिंगायत संप्रदाय (वीरशैव) में किसकी पूजा की जाती थी ?

उत्तर - लिंगायत संप्रदाय (वीरशैव) में भगवान शिव की  पूजा की जाती थी  | 

प्रश्न 35 खुदकाश्त किसान कौन थे ?

उत्तर -  खुदकाश्त किसान भूमि का स्वामी होता था। खुदकाश्त किसान की भूमि और घर एक ही गाँव में होते थे।


प्रश्न .36 सूर्यास्त कानून क्या था ?

उत्तर - औपनिवेशिक काल में गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस ने भू-राजस्व वसूली की एक नई पद्धति प्रचलित की जिसे 'स्थाई बन्दोबस्त' के नाम से जाना गया। इस पद्धति के अन्तर्गत जींदारों को भू-राजस्व की निश्चित धनराशि निश्चित दिन सूर्यास्त से पूर्व राजकोष में जमा करानी होती थी। यदि कोई जींदार निश्चित दिन सूर्यास्त से पूर्व राजस्व जमा नहीं कर पाता था तो उसकी भूमि जब्त करके नीलाम कर दी जाती थी। इस कानून को 'सूर्यास्त कानून' कहा जाता था।

प्रश्न .37 जोतदार कौन थे ?

उत्तर - औपनिवेशिक काल में धनी किसानों को 'जोतदार' के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न .38 मौलवी अहमद उल्ला शाह को 'डंका शाह' क्यों कहा जाता था ?

उत्तर - मौलवी अहमदुल्ला शाह की 1857 ई. के संघर्ष में अहम भूमिका थी। 1856 ई. में उन्होंने गाँव-गाँव घूमकर लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह के लिए तैयार किया था। वह एक पालकी में बैठ कर चलते थे, जिसके आगे-आगे ढोल बजाने वाले और पीछे उनके समर्थक होते थे, इसलिए लोग उन्हें 'डंका शाह' के नाम से पुकारने लगे थे।

प्रश्न .39 भारतीय संविधान में राज्य सूची का क्या अर्थ है?

उत्तर - संविधान के मसौदे में विषयों की तीन सूचियाँ बनाई गई थीं- पहली - केन्द्रीय सूची, दूसरी-राज्य सूची और तीसरी समवर्ती सूची। राज्य सूची के विषय केवल राज्य सरकारों के अन्तर्गत रखे गए, जिन पर राज्य सरकारों को निर्णय लेने का अधिकार संविधान प्रदत्त है।

प्रश्न .39 प्रथम गोलमेज सम्मेलन कब और कहाँ हुआ ?

उत्तर- प्रथम गोलमेज सम्मेलन 12 नवम्बर, 1930 से 13 जनवरी 1931 ई. तक लन्दन में आयोजित किया गया था।

प्रश्न - 40 क्रिप्स मिशन भारत कब आया था और उसके उद्देश्य क्या था ?

उत्तर- क्रिप्स मिशन 23 मार्च, 1942 ई. को दिल्ली पहुँचा था, इसका उद्देश्य भारत के राजनीतिक एवं वैधानिक गतिरोध को दूर करना था।


प्रश्न -41अवध को 'बंगाल आर्मी की पौधशाला' क्यों कहा जाता था ?

उत्तर- बंगाल आर्मी के सिपाहियों में अधिकांश अवध प्रान्त के गाँवों से भर्ती होकर आए थे। इसीलिए अवध को "बंगाल आर्मी की पौधशाला" कहा जाता था।


प्रश्न -42 सिंधु घाटी सभ्यता की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर-हड़प्पा सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित र्थी-

(1) हड़प्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता में नगर एक निश्चित योजना के अनुसार बनाये जाते थे।

(2) हड़प्पा सभ्यता की जल-निकास प्रणाली विशिष्ट थी। भवनों से गंदा पानी निकालने के लिए नालियों की उत्तम व्यवस्था की गई थी।


प्रश्न 43. महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ? लिखिए।

उत्तर-महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई. को काठियावाड़ (गुजरात) के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था।


प्रश्न 44.   1857 के विद्रोह के चार प्रमुख नेताओं के नाम लिखिए।

उत्तर- 1857 ई. के विद्रोह के चार प्रमुख नेताओं के नाम निम्नवत् हैं-
(1) नाना साहब, (2) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई,
(3) मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वितीय
और (4) तात्या टोपे।

प्रश्न 45.  लॉर्ड कार्नवालिस ने बंगाल में भूराजस्व की किस पद्धति को प्रचलित किया था ? 2

उत्तर- लॉर्ड कार्नवालिस ने बंगाल में भू-राजस्व के 'इस्तमरारी बन्दोबस्त' को प्रचलित किया था।

प्रश्न 46. ब्रिटेन में कपास आपूर्ति संघ की स्थापना कब की गई थी ?
उत्तर - ब्रिटेन में कपास आपूर्ति संघ की स्थापना 1857 ई. की गई थी |

प्रश्न 47संविधान प्रारूप समिति का गठन कब किया गया था और इसका अध्यक्ष कौन था ?

उत्तर-संविधान प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त, 1947 ई. को किया गया था। इसके अध्यक्ष डॉ. भीमराव आम्बेदकर थे।

प्रश्न 48. भारतीय संविधान कब लागू किया गया था ?

उत्तर - भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 ई. में  लागू किया गया था | 


प्रश्न 49. मंगल पाण्डे कौन था ?

उत्तर- मंगल पाण्डे बैरकपुर में 34वीं रेजीमेण्ट के सिपाही थे। 1857 के विद्रोह में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

प्रश्न 50. भारतीय संविधान में अनुच्छेद 356 क्या है ?

उत्तर - भारतीय संविधान में अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत केन्द्र सरकार को गवर्नर  की सिफारिश पर राज्य सरकार के सभी अधिकार अपने हाथ में लेने का अधिकार दिया गया है।

प्रश्न 51.ब्राह्मी लिपि को पढ़ने में सबसे पहले सफलता किसने प्राप्त की थी ?

उत्तर- ब्राह्मी लिपि को सबसे पहले 1838 ई . में जेम्स प्रिंसेप नामक विद्वान ने पढ़ा था।


प्रश्न. 52. मातृवंशिकता से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - वह वंश परम्परा जो मातृपक्ष के अनुसार चलती है, मातृवंशिकता कहलाती है।

प्रश्न. 53. पितृवंशिकता से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर-वह वंश परम्परा जो पिता के बाद पुत्र, फिर पौत्र और प्रपौत्र आदि से चलती है; पितृवंशिकता कहलाती है।


प्रश्न .54. सबसे प्राचीन अभिलेख किस भाषा में लिखे गये ?

उत्तर- प्राचीन भारत पर प्रकाश डालने वाले सबसे प्राचीन अभिलेख प्राकृत भाषा में लिखे गए थे।

प्रश्न.55 प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर कहाँ स्थित है और वहाँ किसकी पूजा की जाती है ?

उत्तर- प्रसिद्ध जगन्नाथ मन्दिर ओडिशा राज्य के पुरी नामक नगर में स्थित है, यहाँ भगवान जगन्नाथ (अर्थात् विष्णु के स्वरूप श्रीकृष्ण) की पूजा की जाती है।



12. औपनिवेशिक शासनकाल में हिल स्टेशन (पर्वतीय सैरगाह) से क्या अभिप्राय है? 2

मुम्बई (बंबई) कितने द्वीपों का शहर था ?

इब्नबतूता द्वारा पान का क्या वर्णन दिया गया ?

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कोई दो कारण लिखिए।

14. 


       निर्धारित अंक -3      

           लघु  उत्तरीय प्रश्न           




प्र.1 सिक्के एक प्रमुख ऐतिहासिक स्रोत हैं ? विवरण दीजिए ? 


उत्तर - प्राचीन भारत की प्रामाणिक जानकारी कराने में भारतीय मुद्राएँ निम्नांकित कारणों से ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं-


(1) आर्थिक दशा का ज्ञान-

   यदि सिक्केPqशुद्ध सोने या चाँदी के होते हैं, तो उनसे राज्य की सम्पन्नता का बोध होता है और यदि वे मिश्रित धातु के होते हैं, तो राज्य की विपन्नता का बोध होता है।


(2) तिथिक्रम का निर्धारण- 

सिक्कों पर अंकित तिथि से उन सिक्कों को चलाने वाले शासक की तिथि का ज्ञान होता है।


(3) साम्राज्य की सीमाओं का निर्धारण-

सिक्कों के प्राप्त होने के स्थानों के आधार पर इतिहासकारों को शासकों के साम्राज्य की सीमाओं का निर्धारण करना सरल हो जाता है।


(4) धार्मिक दशा का ज्ञान-

सिक्कों पर अंकित विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों से तत्कालीन धार्मिक दशा का ज्ञान होता है।


(5) कला विकास का ज्ञान-

सिक्कों पर उत्त्कीर्ण मूर्तियों, चित्रों तथा संगीत वाद्यों से तत्कालीन कला तथा संगीत के विकास का ज्ञान होता है।

यद्यपि सिक्कों से वैज्ञानिक प्रगति के विषय में कोई विशेष जानकारी प्राप्त नहीं होती है, फिर भी प्राचीन सिक्के धातु-विज्ञान के ज्ञान से हमें परिचित कराते हैं।


प्रश्न 2. मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक प्रमुख काल क्यों माना जाता हैं ? 

उत्तर - प्राचीन भारत में स्थापित साम्राज्यों में मौर्य साम्राज्य सबसे पहला और सर्वाधिक विशाल साम्राज्य था। उन्नीसवीं शताब्दी में जब इतिहासकारों ने भारत के आरम्भिक इतिहास की रचना प्रारम्भ की तो उनके द्वारा मौर्य साम्राज्य को इतिहास में प्रमुख स्थान दिया गया। इस समय के भारतीय इतिहासकार यह जानकर उत्साहित हो उठे कि प्राचीन भारत में एक इतने महत्वपूर्ण साम्राज्य का जन्म हुआ था। इसी साम्राज्य ने भारत में सर्वप्रथम राजनीतिक एकता स्थापित की थी। इस साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य थे, जिनकी गणना भारत के महानतम् शासकों में की जाती है। इसी साम्राज्य के प्रजा-हितैषी शासक अशोक ने दिग्विजय के स्थान पर धम्म विजय को अपनी शासन नीति का आधार बनाया तथा संतृप्त मानवता को शान्ति, सद्भाव और प्रेम का पाठ पढ़ाया। मौर्य साम्राज्य के अन्तर्गत सम्राट अशोक की शासन नीतियाँ अत्यन्त सराहनीय र्थी। मानवता के दीर्घकालीन इतिहास में कोई ऐसा उदाहरण नहीं मिलता जिसमें किसी शक्तिशाली राजा ने अपने द्वारा पराजित लोगों से इस बात के लिए क्षमा माँगी हो कि उसने उनके विरुद्ध युद्ध करके उन्हें दुःख और कष्ट पहुँचाने का अपराध किया। यही कारण मौर्य साम्राज्य को भारतीय इतिहास का एक गौरवमयी प्रमुख साम्राज्य की संज्ञा प्रदान करते हैं।


प्रश्न 3. कृषि समाज में महिलाओं की स्थिति का वर्णन कीजिए।

उत्तर-मध्यकालीन भारत के कृषि समाज में उत्पादन की प्रक्रिया में महिलाएँ महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती थीं। इस काल में महिलाएँ कृषि उत्पादन प्रक्रिया में पुरुषों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर खेतों में काम करती थी। कृषि उत्पादन में महिलाओं का सक्रिय सहयोग प्राप्त होता था। खेतों में पुरुष लोग जुताई और हल चलाने का काम करते थे, और महिलाएँ खेतों में बुआई, निराई तथा कटाई का काम किया करती थीं, इसके अतिरिक्त वे पकी हुई फसल का दाना निकालने का भी काम करती थीं। लेकिन जब मध्यकाल में छोटी-छोटी ग्रामीण इकाइयों और व्यक्तिगत खेती का विकास हुआ, जोकि मध्यकालीन भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषता थी, तब घर-परिवार के संसाधन और श्रम, उत्पादन के प्रमुख आधार बन गए थे। अतः ऐसे में समाज में लिंग बोध के आधार पर किया जाने वाला फर्क (अर्थात् घर के लिए महिला और बाहर के लिए पुरुष) नामुमकिन हो गया था।

मध्यकालीन समाज में दस्तकारी के काम, जैसे-सूत कातना, बर्तन बनाने के लिए मिट्टी साफ करना और गूँधना, कपड़ों पर कढ़ाई करना आदि उत्पादन के ऐसे पहलू थे, जो महिलाओं के श्रम पर ही आधारित थे। मध्यकाल में जैसे-जैसे वस्तुओं का वाणिज्यीकरण होता गया, वैसे-वैसे वस्तुओं के उत्पादन के लिए महिलाओं के श्रम की माँग भी बढ़ती गई। परिणामतः किसान और दस्तकार महिलाएँ न. केवल खेतों में काम करती थीं अपितु आवश्यकता होने पर नियोक्ताओं के घरों पर काम करने भी जाती थी और अपने उत्पादों की बिक्री के लिए बाजारों में भी जाती थीं।


प्र.4  विजयनगर की जल संरचना प्रणाली का वर्णन कीजिए।

उत्तर-विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को मुख्य रूप से तुंगभद्रा नदी द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक कुण्ड से पूरा किया जाता था। यह नदी उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है। इस कुण्ड के आस-पास ग्रेनाइट की पहाड़ियाँ हैं। ये पहाड़ियाँ शहर के चारों ओर करधनी का निर्माण करती-सी प्रतीत होती हैं। इन पहाड़ियों से अनेक जल-धाराएँ निकलकर नदी में जा मिलती हैं।

विजयनगर की जल-आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए लगभग सभी जल धाराओं के साथ-साथ बाँध बनाकर भिन्न-भिन्न आकारों के हौजों का निर्माण किया गया था। ऐसे सबसे महत्वपूर्ण हौजों में एक 'कमलपुरम जलाशय' का निर्माण 15वीं शताब्दी के आरम्भिक वर्षों में कराया गया था। इस हौज के पानी से आस-पास के खेतों की सिंचाई को जाती थी। इसके साथ-साथ 'राजकीय केन्द्र' की जल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इसी जलाशय से एक नहर के माध्यम से जल वहाँ तक ले जाया जाता था। इसके अतिरिक्त 'हिरिया नहर', जो उस समय की सबसे महत्वपूर्ण जल सम्बन्धी संरचनाओं में से एक है, के खण्डहरों को आज भी देखा जा सकता है। इस नहर में तुंगभद्रा पर बने बाँध के द्वारा पानी लाया जाता था और इसे 'धार्मिक केन्द्र' से 'शहरी केन्द्र' को पृथक् करने वाली घाटी में सिंचाई सम्बन्धी कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जाता था। इस नहर का निर्माण सम्भवतः संगम वंश के राजाओं द्वारा करवाया गया था।

प्र.5 महानवमी डिब्बा का सांस्कृतिक महत्व लिखिए।

उत्तर-विजयनगर की गणना उस काल के सर्वाधिक प्रसिद्ध नगरों में की जाती है। विजयनगर में अनेक भव्य महल, सुन्दर आवास स्थल, उपवन और झीलें थीं, जिनके कारण नगर देखने में अत्यधिक आकर्षक और मनमोहक लगता था। नगर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में शाही केन्द्र स्थित था। शाही केन्द्र में अनेक महत्वपूर्ण भवन थे। इनमें से कुछ भवनों का नामकरण उनके आकार तथा उनमें स्म्पन्न किए जाने वाले कार्यों के आधार पर किया गया। 'महानवमी डिब्बा' एक ऐसी ही महत्वपूर्ण संरचना है। इससे सम्बद्ध अनुष्ठानों का अत्यधिक महत्व था। 'महानवमी डिब्बा' का निर्माण शहर के सबसे अधिक ऊँचे स्थानों में से एक पर किया गया था। महानवमी डिब्बा एक विशाल मंच है, जो लगभग 11000 वर्ग फीट के आधार से 40 फीट की ऊँचाई तक जाता है। उपलब्ध साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि इस पर लकड़ी की एक संरचना का निर्माण किया गया था। विशाल मंच के आधार पर उभारदार चित्रों को उत्कीर्ण किया गया था।

महानवमी डिब्बा से सम्बद्ध अनुष्ठानों का विशेष महत्व था। महानवमी डिब्बा से जुड़ा हुआ एक वार्षिक राजकीय अनुष्ठान होता था, जो दस दिनों तक चलता था। इस अनुष्ठान को उत्तर भारत में दशहरा, बंगाल में दुर्गा पूजा और प्रायद्वीप भारत में नवरात्री अथवा महानवमी के नाम से जाना जाता था। इस अवसर पर विजयनगर के शासक अपनी शक्ति, प्रभाव और अपने अधिराज्य को प्रदर्शित करते थे। इस अवसर पर जो धर्मानुष्ठान होते थे, उनमें मूर्ति की पूजा, राज्य के अश्व की पूजा तथा भैसों व अन्य जानवरों की बलि देना शामिल था। इस अवसर के मुख्य आकर्षणों में नृत्य, कुश्ती, स्पर्धा तथा साज लगे घोड़ों, हाथियों और सैनिकों की शोभायात्रा और साथ ही प्रमुख नायकों और अधीनस्थ राजाओं द्वारा राजा और उसके अतिथियों को दी जाने वाली औपचारिक भेंट शामिल थे। इन उत्सवों के गहन सांकेतिक अर्थ थे। अनुष्ठान के अन्तिम दिन राजा द्वारा अपनी तथा अपने नायकों की सेना का खुले मैदान में आयोजित भव्य समारोह में निरीक्षण किया जाता था। इस अवसर पर नायक राजा की बड़ी भेंट देते थे। इस प्रकार के अनुष्ठानों का उद्देश्य संभवतः राजा की सर्वोच्य स्थिति को स्पष्ट करना था।


प्रश्न 6. प्राचीनकाल में स्त्री और पुरुष किस प्रकार सम्पत्ति अर्जित कर सकते थे ? 

उत्तर- मनुस्मृति के अनुसार पुरुष सात तरीकों- विरासत, खोज, खरीद, विजित करके, निवेश, कार्य द्वारा तथा सज्जनों द्वारा दी गई भेंट स्वीकार करके धन अर्जित कर सकते थे। इसी प्रकार मनुस्मृति के अनुसार, "स्त्रियों के लिए सम्पत्ति अर्जन के छह तरीके हैं- वैवाहिक अग्नि के सामने तथा वधुगमन के समय मिली भेंट। स्नेह के प्रतीक के रूप में तथा माता, पिता और भाई द्वारा दिए गए उपहार। इसके अतिरिक्त विवाह के बाद के काल में मिली भेंटें तथा वह सब कुछ जो 'अनुरागी' पति से उसे प्राप्त हों।"


प्रश्न 7 . सहायक सन्धि व्यवस्था के अन्तर्गत अवध के नवाब पर कौन-सी शर्ते लगायी गयीं ?

उत्तर-लॉर्ड वेलेजली ने भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साम्राज्य विस्तार के उद्देश्य से 1798 ई. में 'सहायक सन्धि' नामक एक योजना तैयार की थी। यद्यपि अवध के नवाब प्रारम्भसे ही ब्रिटिश कम्पनी के वफादार रहे थे, फिर भी उनकी वफादारी अंग्रेजों की साम्राज्यवादी लालसा के सम्मुख महत्वहीन थी। 1801 ई. में अवध के नवाब सआदत अली पर सहायक सन्धि थोप दी गई, जिसकी शर्तें निम्नांकित थीं-

(1) नवाब अपनी सेना को भंग कर दे।

(2) नवाब अवध रियासत में अंग्रेज सैनिक टुकड़ियों की तैनाती की इजाजत दे।

(3) नवाब अवध के दरबार में मौजूद ब्रिटिश रेजीडेण्ट की सलाह के अनुसार ही शासन चलाए| 



प्रश्न 8. विजयनगर स्थित विरूपाक्ष मन्दिर की तीन विशेषताएँ लिखिए।


उत्तर- विजयनगर स्थित विरूपाक्ष मन्दिर की तीन विशेषताएँ निम्नांकित हैं-


(1) विरूपाक्ष मन्दिर का निर्माण अनेक शताब्दियों में किया गया था। इसके सबसे प्राचीन मन्दिर का निर्माण नौवीं दसवीं शताब्दी में हुआ था।


(2) विरूपाक्ष मन्दिर परिसर में मुख्य मन्दिर के सामने बने हुए भव्य मण्डप को बारीकी से उत्कीर्णित स्तम्भों से सुसज्जित किया गया था।


(3) विरूपाक्ष मन्दिर परिसर में स्थित सभागारों का प्रयोग विविध प्रकार के कार्यों के लिए किया जाता था।


प्रश्न 9. अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए क्या कदम उठाए ? 

उत्तर- समकालीन साक्ष्यों से प्राप्त विवरण से स्पष्ट होता है कि अंग्रेजों के लिए इस विद्रोह का दमन करना कोई आसान कार्य नहीं था। इस विद्रोह का दमन करने के लिए ब्रिटिश सरकार को अनेक उपायों का अनुसरण करना पड़ा। उत्तर भारत को पुनः विजित करने के लिए सैन्य टुकड़ियों को रवाना करने से पहले ब्रिटिश सरकार ने अधिकारियों और सैनिकों की सहायता के लिए अनेक नये कानून पारित किए। मई व जून 1857 ई. में पारित किए गए अनेक कानूनों के माध्यम से समूचे उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया, और इसके अतिरिक्त फौजी अधिकारियों के साथ-साथ आम अंग्रेजों को भी यह अधिकार दे दिया गया कि वे विद्रोह में शामिल होने के शक पर किसी भी भारतीय पर मुकदमा चला सकते थे और उन्हें सजा दे सकते थे। इस प्रकार विद्रोह की अवधि में कानून एवं मुकद्दमों की सामान्य प्रक्रिया को रद्द करके यह स्पष्ट कर दिया गया था कि विद्रोह की केवल एक ही सजा-'सजा-ए-मौत' है।

दिल्ली को कब्जे में लेने की अंग्रेजों की कोशिश जून 1857 में बड़े पैमाने पर शुरू हुई, लेकिन यह मुहिम सितम्बर 1857 के आखिर में जाकर पूरी हो पाई। दोनों तरफ से जमकर हमले किए गए और दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसकी एक वजह यह थी कि पूरे उत्तर भारत के विद्रोही राजधानी को बचाने के लिए दिल्ली में आ जमे दिल्ली में नियंत्रण स्थापित करने के बाद अंग्रेजों ने उत्तर भारत के अन्य स्थानों को पुनः विजित करने का प्रयत्न प्रारंभ किया। जैसे ही उन्होंने विद्रोह के विरुद्ध कार्यवाही प्रारंभकी, उन्हें अहसास हो गया कि उनका सामना केवल सैनिक विद्रोह से नहीं है अपितु वे एक ऐसे विद्रोह से जूझ रहे थे, जिसके साथ अपार जनसमर्थन खड़ा था। लेकिन अंग्रेजों ने इस विद्रोह का दमन करने के लिए अपनी सैन्य ताकत का भरपूर उपयोग किया और अंततः विद्रोह पर काबू पा लिया।


प्रश्न 10. विजयनगर साम्राज्य की अमरनायक प्रणाली को समझाइए |

उत्तर- 'अमरनायक प्रणाली', विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख राजनीतिक प्रणाली थी। इस प्रणाली के अनेक तत्व दिल्ली सल्तनत की इक्ता प्रणाली से लिए गए थे। विजयनगर साम्राज्य के अन्तर्गत 'अमरनायक' सैनिक कमाण्डर थे। इन्हें शासक द्वारा प्रशासन के लिए राज्य-क्षेत्र दिये जाते थे। ये लोग किसानों, शिल्पकर्मियों तथा व्यापारियों से भू-राजस्व तथा अन्य कर वसूल करते थे। ये लोग अपने पास घोड़े और हाथियों का दल रखते थे, इनके रख-रखाव के लिए ये लोग राजस्व कर आदि में से कुछ भाग अपने पास रखते थे। ये लोग विजयनगर के शासकों को एक प्रभावी सैन्य शक्ति प्रदान करने में सहायता करते थे। इन अमरनायकों की सैन्य सहायता के परिणामस्वरूप वियजनगर के शासक पूरे दक्षिण प्रायद्वीप पर नियन्त्रण करने में सफल हुए।



प्रश्न 11. जैन धर्म के 'पाँच महाव्रत' का उल्लेख कीजिए |


उत्तर-जैन धर्म के पाँच महाव्रत निम्नलिखित हैं-


(1) अहिंसा - महावीर स्वामी के अनुसार किसी व्यक्ति या जीव को पीड़ा या आघात न पहुँचाना अहिंसा है। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी भी जीव को कष्ट देना या उसकी हत्या करना महापाप है। यह जैन धर्म का प्रमुख सिद्धान्त है।


(2) अस्तेय-चोरी न करना तथा चोरी का माल या वस्तु को न बेचना अस्तेय के अन्तर्गत आते हैं। महावीर स्वामी चोरी को भी हिंसा जैसा पाप मानते थे।


(3) सत्य - महावीर स्वामी के अनुसार भय, क्रोध तथा लोभ से प्रभावित होकर ही सत्य भाषण नहीं करना चाहिए वरन् प्रत्येक व्यक्ति को सदा सत्य बोलना चाहिए।


(4) ब्रह्मचर्य - प्रत्येक व्यक्ति को कामवासनाओं से दूर रहकर पवित्र जीवन व्यतीत करना चाहिए। कामवासनाओं तथा इच्छाओं का त्याग ही ब्रह्मचर्य है।

(5) अपरिग्रह- महावीर स्वामी के अनुसार किसी वस्तु या धन का संग्रह नहीं करना चाहिए। वस्तुओं तथा धन में अत्यधिक आसक्ति रखना अनुचित है।


प्रश्न 12 महाभारत को एक गतिशील ग्रन्थ क्यों कहा गया है ?

उत्तर - महाकाव्य 'महाभारत' एक गतिशील ग्रन्थ है। क्योंकि इसका विकास संस्कृत के पाठ के साथ ही समाप्त नहीं हो गया, अपितु अनेक शताब्दियों से इसके अनेक पाठान्तर भिन्न-भिन्न भाषाओं में लिखे जाते रहे। ये सब इनके रचनाकारों, अन्य लोगों और समुदायों के मध्य स्थापित हुए संवादों को दर्शाते थे। महाभारत के प्रमुख कथानक की अनेक पुनर्व्याख्याएँ भी की गईं। महाभारत की पुनर्व्याख्याओं में मुख्य कथावस्तु को बहुत ही सृजनात्मक ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। आधुनिक काल की सुप्रसिद्ध समसामयिक बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी ने महाभारत के एक प्रसंग का रूपांतरण किया है, जो शोषण के विरुद्ध अपनी आवाज उठाने के लिए प्रसिद्ध है। महाश्वेता देवी ने महाभारत की मुख्य कथावस्तु के लिए अन्य विकल्प खोजे हैं और जनसाधारण का ध्यान उन प्रश्नों की ओर खींचा है, जिनका संस्कृत पाठ में कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है, इस संदर्भ में उनकी लघु कथा 'कुन्ती ओ निषादी'भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। महाभारत के अनेक प्रसंगों का दिग्दर्शन मूर्तिकला के माध्यम से भी किया गया है। इस महाकाव्य ने नाटकों और नृत्य कलाओं के लिए विषय-वस्तु प्रदान की है।


प्र. 13 अशोक के धम्म की तीन प्रमुख विशेषताएँ लिखिए ? 

उत्तर - अपने प्रारम्भिक काल में अशोक हिन्दू धर्म का अनुयायी था, परन्तु कलिंग युद्ध के पश्चात् वह बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया। बौद्ध धर्म का अनुयायी होते हुए भी अशोक ने अपनी प्रजा को जिस धर्म पालन का आदेश दिया, वह 'सार्वभौम धर्म' था, अर्थात् ऐसा धर्म जिसमें सभी धर्मों के सद्‌गुणों का समावेश किया गया था।

 अशोक के धर्म की निम्नलिखित विशेषताएँ र्थी- 

(1) अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषता 'सार्वभौमिकता' है, अर्थात् उसने अपने धर्म में सभी धर्मों के सद्गुणों का समावेश किया।


(2) अशोक ने अपने धर्म में अहिंसा को विशेष महत्त्व दिया। उसने उन यज्ञों को बन्द करवा दिया, जिनमें पशुबलि होती थी।


(3) अशोक ने अपने धर्म में अनुशासन तथा शिष्टाचार को भी विशेष महत्त्व दिया। उसने अपने शिलालेखों में उत्कीर्ण किया कि "माता-पिता की आज्ञा का पालन होना चाहिए तथा इसी प्रकार गुरुजनों की आज्ञा का भी पालन होना चाहिए।"

(4) अशोक ने सेवकों, मित्रों तथा ब्राह्मणों के साथ सद्-व्यवहार करने पर भी बल दिया 


(5) अशोक ने धार्मिक आडम्बरों का विशेष विरोध किया तथा सत्य बोलने तथा सद् आचरण पर विशेष बल दिया।



14. वैष्णववाद का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत का पौराणिक धर्म वैदिक धर्म रहा है, जो आधुनिक काल में हिन्दू धर्म के नाम से भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय धर्म है। इसे भारत का सर्वश्रेष्ठ धर्म बनाने में महत्वपूर्ण योगदान हिन्दू धर्म के दो सम्प्रदायों ने दिया, जिन्हें वैष्णव अथवा भागवत सम्प्रदाय और शैव सम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।

वैष्णव सम्प्रदाय/वैष्णववाद - भगवान विष्णु को अपना इष्टदेव मानने वाले 'वैष्णव' कहे गए, उनका सम्प्रदाय वैष्णव अथवा भागवत सम्प्रदाय कहा गया और उनका धर्म वैष्णव धर्म अथवा भागवत धर्म कहा गया। भागवत अथवा वैष्णव सम्प्रदाय के अनुसार 'विष्णु' सबसे बड़े देवता हैं। वह 'परमब्रह्म' हैं और सृष्टि का पालन करने वाले हैं। वैष्णवों की दृष्टि में समस्त विश्व विष्णु की ही शक्तियों की अभिव्यक्ति है। समस्त संसार उन्हीं की विलक्षण कृति है। इस कारण विष्णु ही 'परमब्रह्म', 'परमात्मा', 'नारायण' और 'हरि' हैं। विभिन्न अवसरों पर उन्होंने विभिन्न रूपों में अवतार लिए हैं। वैष्णवों के लिए विष्णु की भक्ति और पूजा करना सबसे बड़ा धर्म है। वैष्णव धर्म का श्रेष्ठ धार्मिक ग्रन्थ 'भगवद्‌गीता' है, जो वर्तमान समय में हिन्दुओं का सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थ है | 


 प्र(15) अमरावती स्तूप क्यों नष्ट हो गया 

उत्तर - अरावती स्तूप - अमरावती के एक स्थानीय राजा, जो एक मन्दिर का निर्माण करना चाहते थे, को अचानक 1796 ई. में अमरावती के स्तूप के अवशेष प्राप्त हुए, उन्हें ऐसा लगा कि इस पहाड़ी में शायद कोई खजाना छिपा हो, अतः उन्होंने वहाँ से पत्थरों को निकलवा कर मन्दिर निर्माण में इस्तेमाल किया। कुछ वर्षों के बाद एक अंग्रेज अधिकारी, जिनका नाम कॉलिन मेकेंजी था, स्तूप वाले इलाके से गुजर रहे थे, तब उन्हें वहाँ से अनेक मूर्तियाँ प्राप्त हुईं, उन्होंने उन मूर्तियों का विस्तृत चित्रांकन भी किया, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी रिपोर्ट कभी नहीं छपी। 1854 ई. में गुंटूर (आन्ध्र प्रदेश) के कमिश्नर वाल्टर एलियट ने अमरावती की यात्रा की। अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने अनेक मूर्तियाँ और उत्कीर्ण पत्थर एकत्रित किए और उन्हें अपने साथ मद्रास ले गए। इस यात्रा के दौरान वाल्टर एलियट अमरावती स्तूप के पश्चिमी तोरणद्वार को भी खोजने में सफल हुए, उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि अमरावती स्तूप बौद्धों का सर्वाधिक विशाल और भव्य स्तूप था। 1850 के दशक से ही अमरावती के उत्कीर्ण पत्थर अलग-अलग स्थानों पर ले जाए जाने लगे। कुछ उत्कीर्ण पत्थर कलकत्ता स्थित एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल में पहुँचाए गए, तो कुछ उत्कीर्ण पत्थर मद्रास में स्थित इंडिया ऑफिस में पहुँचा दिए गए। अमरावती की अनेक मूर्तियाँ अंग्रेज अधिकारियों के बगीचों की शोभा बन गई, क्योंकि हर कोई नया अंग्रेज अधिकारी यह कहकर मूर्तियाँ उठा ले जाता था कि उसके पूर्व के अधिकारियों ने भी ऐसा ही किया था। इस अमरावती स्तूप की महत्वपूर्ण धरोहर नष्ट हो गई। वर्तमान में अमरावती का स्तूप केवल एक छोटा-सा टीला है, हम भारतीय अपनी इस महत्वपूर्ण विरासत से वंचित हो गए।


प्रश्न 16. 'किताब-उल-हिन्द' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए |

उत्तर-अल बिरूनी द्वारा रचित 'किताब-उल-हिन्द' एक विस्तृत ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ अस्सी अध्यायों में विभक्त है जिसमें प्रत्येक का एक उपशीर्षक है जो सम्बन्धित विषय की ओर संकेत करता है। इस ग्रन्थ का पहला अध्याय तो प्रस्तावना के रूप में है जिसमें अल बिरूनी ने उन कठिनाइयों की चर्चा की है, जिनका भारतीय समाज का निष्पक्ष विवरण तैयार करने में सामना करना पड़ता है; जैसे- भाषा का अंतर, धार्मिक तथा जातिगत पूर्वाग्रह आदि। इसके अतिरिक्त उसने इन कठिनाइयों से निपटने के लिए उस विधितंत्र का उल्लेख किया है जो उसने अपने लेखन में अपनाया है। इसके बाद धर्म और दर्शन, समाज संगठन और धार्मिक नियम व मूर्तिकला, धार्मिक तथा वैज्ञानिक साहित्य, माप विद्या, भूगोल और खगोलशास्त्र, सामाजिक जीवन, रीति-रिवाज, त्यौहार और ज्योतिष शास्त्र आदि विषयों के अध्यायों का लेखन किया गया है।

इस ग्रंथ की लेखन शैली की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इस ग्रन्थ में अल बिरूनी ने सामान्यतः प्रत्येक अध्याय में एक प्रकार की विशिष्ट शैली का प्रयोग किया है, इसके अंतर्गत प्रत्येक अध्याय के प्रारम्भ में एक प्रश्न होता था, तत्पश्चात् संस्कृतवादी परम्पराओं के आधार पर वर्णन किया जाता था और अन्त में अन्य संस्कृतियों के साथ तुलना की जाती थी। कुछ आधुनिक विद्वानों का मानना है कि अल बिरूनी की लेखन शैली में उपलब्ध उल्लेखनीय स्पष्टता और पूर्वानुमेयता उसकी गणित में अभिरुचि का परिणाम है।



प्रश्न 17. सती प्रथा के कौन से तत्वों ने बर्नियर का ध्यान अपनी ओर खींचा ?

उत्तर-मध्यकाल में भारत आए यूरोपीय यात्रियों और लेखकों ने उन वातों का विस्तृत वर्णन करने में अधिक रुचि दिखाई थी जो उन्हें अवसादजनक अथवा यूरोपीय समाजों से भिन्न दिखाई दीं। महिलाओं से किए जाने वाले व्यवहार को पूर्वी और पश्चिमी समाजों के बीच भिन्नता का एक महत्वपूर्ण परिचायक माना जाता था। अतः बर्नियर भारत में प्रचलित सती प्रथा के प्रति आकर्षित हुआ और उसने सती प्रथा के वर्णन को अपने वृत्तान्त का एक हिस्सा बनाया। सती प्रथा मध्यकालीन हिन्दू समाज में प्रचलित कुप्रथाओं में घृणित प्रथा थी। बर्नियर ने अपने वृत्तान्त में इस प्रथा के विषय में लिखा है कि कुछ महिलाएँ अपनी स्वेच्छा से अपने मृत पति के शव के साथ सती हो जाती थीं, लेकिन अधिकांश महिलाओं को ऐसा करने के लिए जबरन बाध्य किया जाता था।



प्रश्न 10. मुगलकालीन ग्रामीण समुदाय की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।




कैबिनेट मिशन की कोई तीन प्रमुख सिफारिशों का वर्णन कीजिए।

अथवा


3

महात्मा गाँधी के साम्प्रदायिक दंगों को रोकने हेतु किए गए प्रयासों को स्पष्ट कीजिए।

परीक्षा अध्ययन इतिहासगहन 


       निर्धारित अंक - 4     

           दीर्घ  उत्तरीय प्रश्न           

प्र. मध्यकालीन भक्ति परम्परा के कोई चार प्रमुख संतों के उपदेशों का वर्णन कीजिए ? 

उत्तर - 

1) रामानुजाचार्य-रामानुजाचार्य भक्ति परम्परा के महान सन्त थे। इनका विश्वास था कि समस्त बातों से ध्यान हटाकर ईश्वर की भक्ति करने से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। इन्होंने शंकराचार्य के कठिन अद्वैतवाद का भी खण्डन किया था तथा 'विशिष्टाद्वैत' का प्रतिपादन किया था। इन्होंने वेदान्त संग्रह, वेदान्त सूत्र, वादरायण का भाष्य तथा भगवद्‌गीताकी व्याख्या लिखी। रामानुजाचार्य महान सन्त व दार्शनिक होने के साथ-साथ महान समाज सुधारक भी थे।

 (2) कबीर-कवीर भक्ति की निर्गुण धारा के प्रवर्तक थे। कबीर की शिक्षाओं का प्रमुख विषय भक्ति है। उनका विचार था कि भक्ति के बिना धर्म, धर्म नहीं है। उनकी मान्यता थी कि परमसत्ता एक है किन्तु उसे राम, रहीम, अल्लाह, हरि, खुदा, गोविन्द आदि भिन्न-भिन नामों से पुकारा जाता है। कबीर ने धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त पाखण्डों और बाह्यार्डवरों का विरोध किया। सन्त कबीर ने समाज में प्रचलित जाति प्रथा का विरोध करके मानव जाति को एक-दूसरे के समीप लाने में योगदान दिया।

 (3) चैतन्य महाप्रभु - चैतन्य महाप्रभु बंगाल में भक्ति आन्दोलन का प्रसार करने वाले प्रमुख सन्त थे। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से सामाजिक असमानता को दूर करने का प्रयास किया तथा सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में योगदान दिया। चैतन्य महाप्रभु के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए कर्म तथा ज्ञान मार्ग अत्यन्त कठिन है, अतः उन्होंने भक्ति की प्रधानता को मोक्ष का साधन बताया।

 (4) गुरुनानक - गुरुनानक के उपदेशों का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण मानव समाज का उत्थान करना था। इसीलिए उन्होंने मोक्ष तथा लोक कल्याण के निमित्त सेवा-धर्म पर अधिक बल दिया। गुरुनानक ने बाहरी आडम्बरों के त्याग तथा प्रेम भक्ति पर जोर दिया। गुरुनानक ने समाज में छुआछूत के भेदभाव को मिटाकर भ्रातृत्व को बल प्रदान किया।



प्रश्न "दाण्डी मार्च ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित कानून के विरुद्ध एक मुख्य जन-आन्दोलन था।" व्याख्या कीजिए।

उत्तर - महात्मा गाँधी ने नमक कानून के विरुद्ध सत्याग्रह का प्रारम्भ 'दाण्डी मार्च' से किया। उन्होंने अंग्रेजी शासन के विरोध में नमक का प्रतीक रूप में चयन निम्नांकित कारणों से किया था-
 (1) नमक कानून ब्रिटिश सरकार का एक घृणित कानून था, इसके अन्तर्गत नमक के उत्पादन और विक्रय पर राज्य का सर्वाधिकार स्थापित था|
 (2) भारतीय जनता नमक कानून को घृणा की दृष्टि से देखती थी। नमक प्रत्येक परिवार के भोजन का एक अपरिहार्य अंग था, लेकिन भारतीय लोग अपने घरेलू प्रयोग के लिए स्वयं नमक नहीं बना सकते थे। नमक कानून के कारण भारतीय लोगों को मजबूत ऊँचे दामों पर नमक दुकानों से खरीदना पड़ता था।
(3) ब्रिटिश सरकार ने नमक कानून लागू करके भारतीयों को सरलता से उपलब्ध ग्राम-उद्योग से वंचित कर दिया था। चूँकि भारतीय लोगों में नमक कानून अत्यधिक अलोकप्रिय था, इसलिए महात्मा गाँधी नमक को विरोध का प्रतीक बनाकर राष्ट्रीय आन्दोलन में जनसाधारण का अधिकाधिक सहयोग प्राप्त करना चाहते थे। यह निर्णय उनकी सूझ-बूझ का परिचायक था। 

प्रश्न -  महात्मा गांधी की भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका का वर्णन कीजिये ?

उत्तर-महात्मा गाँधी भारत के ही नहीं अपितु विश्व की महान विभूतियों में से एक थे। इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई. को काठियावाड़ के पोरबन्दर नामक नगर में करमचन्द के घर हुआ था। इनकी माता का नाम पुतलीबाई था। उनका मूल नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था।

14 वर्ष की अल्पायु में इनका विवाह कस्तूरबा से हो गया था। मैट्रीकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् वकालत की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह इंग्लैण्ड गए और तीन वर्ष पश्चात् वह वहाँ से सफल बैरिस्टर बनकर लौटे और वकालत प्रारम्भ की। 

1893 ई. में वह दक्षिण अफ्रीका गए और वहाँ बीस वर्षों तक रहे। वहाँ उन्हें रंगभेद के कटु अनुभव हुए। अतः उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति के खिलाफ आवाज उठाकर मानवता के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। बोस वर्ष के उपरान्त 1914 ई; में जब गाँधीजी भारत वापस लौटे, तब प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा हुआ था। इस दौरान गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार के प्रति सहयोगात्मक रुख अपनाया, परन्तु जब युद्ध समाप्ति के बाद रॉलेट एक्ट पारित किया गया तो उन्होंने पंजाब में किए गए अत्याचारों तथा खिलाफत के प्रश्न पर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया। कुछ ही समय में उनकी ख्याति सर्वत्र व्याप्त हो गई। उन्होंने 1915 ई. से लेकर 1947 ई. तक कांग्रेस और राष्ट्रीय आन्दोलन का नेतृत्व किया। इसी कारण उन्हें भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का कर्णधार भी कहा जाता है। समस्त संसार का ध्यान गाँधीजी की ओर आकृष्ट हो गया था क्योंकि उन्होंने पशुबल के समक्ष आत्मबल का शस्त्र निकाला, तोपों एवं मशीनगनों का सामना करने के लिए उन्होंने अहिंसा का आश्रय लिया। गाँधीजी ने भारत की स्वतन्त्रता के लिए तीन महत्वपूर्ण आन्दोलन संचालित किए-असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन और भारत छोड़ो आन्दोलन, जिससे अन्त में विवश होकर 15 अगस्त, 1947 ई. को अंग्रेजों ने भारत को स्वतन्त्र कर दिया। साम्प्रदायिक सौहार्द की जीवन्त रखने वाली इस महान आत्मा, जिसने लगभग 30 वर्षों तक भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को नई दिशा दी, को नाथूराम गोडसे की गोली का शिकार होकर 30 जनवरी, 1948 ई. को महायात्रा के लिए प्रस्थान करना पड़ा। 


प्र.  महाजनपदों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर -  बौद्ध और जैन धर्म के आरम्भिक ग्रन्थों में महाजनपद नाम से सोलह राज्यों की सूची प्राप्त होती है। यद्यपि महाजनपदों के नाम की सूचियाँ एक जैसी नहीं हैं; तथापि वज्जि, मगध, कोशल, कुरू, पांचाल, गंधार और अवन्ति आदि नाम एक जैसे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि ये महाजनपद सबसे अधिक महत्वपूर्ण रहे होंगे। 

महाजनपदों के विशिष्ट अभिलक्षण-

 (1) महाजनपदों का विकास 600 ई. पू. से 320 ई. पू. के मध्य हुआ था।

 (2) महाजनपदों की संख्या सोलह थी। इनमें से लगभग बारह राजतन्त्रीय राज्य थे और चार गणतन्त्रीय राज्य थे।

 (3) इस काल में मगध, वत्स, अवन्ति, कोशल आदि सुप्रसिद्ध राजतन्त्र थे; और वज्जि, कुरु, मल्ल और शूरसेन गणराज्य थे। कुछ गणराज्य अनेक राज्यों के संघ थे, जैसे-वज्जि गणराज्य आठ राज्यों का संघ था और मल्ल गणराज्य नौ राज्यों का संघ था।

(4) अधिकांश महाजनपदों में राजतन्त्र प्रणाली का प्रचलन था। इन राज्यों में राजा का पद पैतृक होता था। राज्य की समस्त शक्तियाँ राजा के हाथ में केन्द्रित होती थीं।

 (5) प्रत्येक महाजनपद को एक राजधानी होती थी, जो प्रायः किलेबन्द होती थी। 

(6) महाजनपदों के राजा अपने राज्यों की सुरक्षा के लिए तथा राज्य में शान्ति व सुव्यवस्था कायम करने के लिए सेनाओं का संगठन किया करते थे। 

(7) महाजनपदों में ब्राह्मणों ने लगभग छठी शताब्दी ई. पू. से संस्कृत में धर्मशास्त्र नामक ग्रन्थों की रचना प्रारम्भ की। इन ग्रन्थों में राजाओं और अन्य व्यक्तियों के लिए नियमों का निर्धारण किया गया।


   प्रश्न -  अभिलेख साक्ष्य की सीमाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर - - इतिहास निर्माण की दृष्टि से अभिलेखों का सर्वाधिक महत्व है। इनसे प्राचीन भारत के सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा धार्मिक जीवन की प्रामाणिक जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। विद्वान इतिहासकार फ्लीट के शब्दों में, "प्राचीन भारत के राजनीतिक इतिहास का ज्ञान हमें केवल अभिलेखों के धैर्यपूर्ण अध्ययन से प्राप्त होता है।"

 वास्तव में, अभिलेख तत्कालीन राजनीतिक तथा धार्मिक दशा पर विशेष रूप से प्रकाश डालते हैं तथा राज्य की सीमाओं का निर्धारण, राजाओं के चरित्र एवं व्यक्तित्व के विषय में भी जानकारी उपलब्ध कराते हैं। अभिलेखों की संख्या अत्यधिक है तथा ये देश के विभिन्न भागों में प्राप्त हुए हैं। अधिकांश अभिलेख स्तम्भों, शिलाओं तथा गुफाओं पर उत्कीर्ण हैं, परन्तु कुछ अभिलेख मूर्तियों तथा ताम्रपत्रों पर भी उत्कीर्ण किये गये हैं। अशोक के अभिलेख, प्रयाग प्रशस्ति लेख तथा हाथीगुम्फा अभिलेख ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण हैं। 

अशोक के अभिलेखों से तत्कालीन धर्म, शासन व्यवस्था तथा साम्राज्य विस्तार की जानकारी प्राप्त होती है। हाथीगुम्फा अभिलेख से खारवेल के शासनकाल की घटनाओं का ज्ञान प्राप्त होता है। इसी प्रकार, प्रयाग प्रशस्ति लेख से समुद्रगुप्त के व्यक्तित्व तथा उसकी दिग्विजयों की जानकारी प्राप्त होती है।


प्रश्न.कर्नाटक की वीरशैव परम्परा का वर्णन कीजिए।

उत्तर - उत्तर-कर्नाटक में बारहवीं शताब्दी में एक नवीन आन्दोलन का सूत्रपात हुआ जिसे वीरशैव परम्परा के नाम से जाना जाता है। इस नवीन आन्दोलन का नेतृत्व बासवन्ना (1106-68 ई.) नामक ब्राह्मण ने किया था। बासवन्ना कालचुरी राजा के दरबार में एक मंत्री थे। इनके अनुयायी 'वीरशैव' अर्थात् शिव के वीर और 'लिंगायत' अर्थात् लिंग धारण करने वाले के नाम से जाने गए।

 वर्तमान में भी कर्नाटक में वीरशैव परम्परा काफी लोकप्रिय परम्परा है और इस परम्परा को मानने वाले लिंगायत समुदाय का इस क्षेत्र में विशेष महत्व है। इस समुदाय के मतावलम्बी शिव को अपना आराध्य देव मानते हैं और वे शिव की उपासना लिंग के रूप में करते हैं। लिंगायतों का यह विश्वास है कि मृत्यु के बाद उनका पुनर्जन्म नहीं होगा और वे अपने आराध्य देव शिव में लीन हो जाएँगे। वीरशैव परम्परा के मतावलम्बी अपने मृतकों को विधिपूर्वक दफनाते हैं, वे धर्मशास्त्र में निहित श्राद्ध संस्कार का पालन नहीं करते हैं। लिंगायत लोग धर्म से जुड़े आडम्बरों और निरर्थक रीति-रिवाजों का विरोध करते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर को अनुष्ठानों से नहीं, अपितु यथार्थ भक्ति भाव से प्राप्त किया जा सकता है। 

वीरशैव परम्परा के मतावलम्बी जन्म आधारित जाति व्यवस्था को स्वीकार नहीं करते हैं। उन्होंने समाज में प्रचलित कुछ समुदायों के 'पवित्र' और कुछ के 'दूषित' होने की ब्राह्मणीय अवधारणा की कटु आलोचना की और उन्होंने जाति-पाँति के भेदभावों का विरोध किया। लिगांयातों का मानना है कि समाज में मनुष्य की श्रेष्ठता का आधार उसका जन्म नहीं अपितु कर्म होने चाहिए। उन्होंने पुनर्जन्म की ब्राह्मणीय अवधारणा को भी स्वीकार नहीं किया।





प्रश्न -    राजा सूफी सन्तों का समर्थन क्यों चाहते थे ?

उत्तर-सूफी सन्तों की लोकप्रियता के कारणों में उनकी धर्मनिष्ठा, विद्वता और जनमानस द्वारा उनकी चमत्कारिक शक्ति में विश्वास करना शामिल था। उक्त सभी कारणों से प्रभावित होकर शासक वर्ग भी सूफी सन्तों का समर्थन प्राप्त करने के लिए लालायित रहते थे। शासक वर्ग सूफी सन्तों से न केवल सम्पर्क बनाए रखना चाहते थे, अपितु उनका सहयोग एवं समर्थन भी प्राप्त करना चाहते थे। उदाहरणार्थ, दिल्ली सल्तनत की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में उलमा शरीआ को शासन नीति का आधार बनाना चाहते थे। किन्तु सुल्तान यह भली-भाँति समझते थे कि ऐसा करना सम्भव नहीं है, क्योंकि उनकी बहुसंख्यक प्रजा इस्लाम को मानने वाली नहीं थी। टकराव की इस स्थिति में सुल्तानों को सूफी सन्तों का सहारा और समर्थन मिला, जो उलमा द्वारा शरीआ की व्याख्या पर निर्भर नहीं थे और यह मानते थे कि उन्हें उनकी आध्यात्मिक सत्ता सीधे अल्लाह से प्राप्त हुई है।


प्रश्न . किस प्रकार गाँधीजी एक जन नेता बन गये ?

उत्तर - महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आन्दोलन के स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया था। अब यह आन्दोलन सिर्फ व्यावसायिकों तथा बुद्धिजीवियों का ही नहीं रह गया था, बल्कि अब हजारों की संख्या में किसानों, श्रमिकों तथा कारीगरों ने भी इमें हिस्सा लेना शुरू कर दिया। इनमें से अनेक गाँधीजी के प्रति आदर व्यक्त करने के लिए उन्हें अपना 'महात्मा' कहने लगे। उन्हें इस बात का गर्व होता था कि गाँधीजी उनकी ही तरह वस्त्र पहनते थे, उनकी ही तरह रहते थे और उनकी ही भाषा बोलते थे। वह दूसरे नेताओं की भाँति सामान्य जनसमूह से पृथक् नहीं खड़े होते थे बल्कि वह उनसे सहानुभूति रखने तथा उनसे घनिष्ठ सम्बन्ध भी जोड़ लेते थे। वह प्रतिदिन कुछ समय के लिए चरखा चलाते थे और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करते थे। सूत कताई के कार्य ने गाँधीजी को पारम्परिक जाति व्यवस्था में प्रचलित मानसिक श्रम और शारीरिक श्रम की दीवार को तोड़ने में मदद की। गाँधीजी ने किसानों तथा अन्य निर्धन लोगों के कष्टों को दूर करने का प्रयत्न किया। उनके सम्बन्ध में चमत्कारों के बारे में फैली अफवाहों ने उनकी लोकप्रियता को घर-घर पहुँचा दिया। अतः बड़ी संख्या में लोग राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ते चले गए। गाँधीजी ने राष्ट्रवादी सन्देश का प्रसाद अंग्रेजी भाषा की बजाय स्थानीय भाषाओं में करने पर बल दिया। राष्ट्रीय आन्दोलन के आधार को मजबूत करने के लिए उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया। गाँधीजी ने राष्ट्रीय आन्दोलन को चलाने के लिए नये तरीकों को आजमाया और वे इसमें सफल भी रहे। उनके दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त थे- अहिंसा, सत्याग्रह, गरीबों के प्रति सच्ची सहानुभूति, महिलाओं का सशक्तिकरण, कुटीर उद्योग धन्धे, चरखा एवं खादी अपनाने पर बल, रंगभेद और जातीय भेद का विरोध, साम्प्रदायिक सद्भाव और अस्पृश्यता का विरोध आदि। अपने आधारभूत सिद्धान्तों के माध्यम से गाँधीजी ने राष्ट्रीय आन्दोलन को वास्तविक अर्थों में एक जन-आन्दोलन बना दिया था और वे एक लोकप्रिय जन नेता बन गये थे।


प्रश्न 3. सूफी मत के मुख्य धार्मिक विश्वासों और आचारों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- सूफी मत के सिद्धान्त- ग्यारहवीं शताब्दी तक आते आते सूफीवाद एक पूर्ण विकसित आन्दोलन के रूप में प्रसारित होने लगा था, जिसका सूफी परम्परा और कुरान से जुड़ा अपना साहित्य था। इसके अपने सिद्धान्त थे, जिनका विवरण निम्नांकित है-

 (1) परमात्मा की एकता में आस्था- सूफी मत के अनुसार परमात्मा या ईश्वर एक है। सूफी सन्त ईश्वर की एकरूपता में विश्वास करते थे। उनके अनुसार आत्मा और परमात्मा में कोई भेद नहीं है, अतः आत्मा को परमात्मा में लीन करने का प्रथल करना चाहिए। सूफी सन्त ईश्वर को सत्य, निर्गुण और निराकार मानते हैं।

 (2) भौतिक जीवन का त्याग- सूफी सन्त सांसारिक भोग विलास तथा वैभव प्रदर्शन के विरोधी थे, सादा जीवन तथा संयमपूर्ण जीवन को महत्व देते थे। 

(3) प्रेम को महत्त्व - प्रेम को प्रायः सभी धर्मों में परमात्मा को प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ साधन माना है। सूफी सन्तों ने भी प्रेम को विशेष महत्त्व दिया है। सूफी सन्तों के अनुसार परमात्मा की प्राप्ति प्रेम के माध्यम से ही हो सकती है। सूफी सन्त संगीत के माध्यम से अपना प्रेम भाव प्रकट करते थे।

 (4) गुरु को महत्त्व-सूफी सन्त ईश्वर और मनुष्य के मिलने में शैतान को बाधक मानते हैं। शैतान से बचाने के लिए तथा सच्चा मार्ग दिखाने के लिए वे गुरु का होना परम आवश्यक मानते हैं। सूफी सन्तों का मानना था कि बिना आध्यात्मिक गुरु के व्यक्ति कभी कुछ प्राप्त नहीं कर सकता है। 

(5) धार्मिक सहिष्णुता - सूफी सन्त उदार विचारधारा के थे, उनमें धार्मिक कट्टरता नहीं थी। वे सभी धर्मों को समान समझते थे तथा सभी को समान महत्त्व देते थे। उन्होंने किसी भी धर्म की आलोचना नहीं की। सूफी सन्तों ने इस्लामी कट्टरता को कम किया तथा हिन्दुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे के निकट लाने का प्रयत्न किया। 

(6) हृदय की पवित्रता पर बल- सूफी सन्त हृदय को दर्पण के समान मानते हैं। यदि हृदय शुद्ध और पवित्र है तो उनके अनुसार ईश्वर की प्रतिच्छाया भी स्पष्ट होगी। 



प्र. () किसान महात्मा गांधी को किस तरह देखते थे ? $

उत्तर -भारत के किसानों के लिए गाँधीजी एक उद्धारक के समान थे। भारतीय किसानों में गाँधीजी 'गाँधी बाबा', 'गाँधी महाराज', अथवा 'महात्मा' जैसे अनेक सम्मानसूचक नामों से जाने जाते थे। भारतीय किसानों का यह मानना था कि गाँधीजी उन्हें लगान की ऊँची दरों और दमनकारी अंग्रेज अधिकारियों से बचा सकते थे। इसके अतिरिक्त गाँधीजी ही उनकी मान-मर्यादा और स्वायत्तता को वापस दिला सकते थे। भारत की गरीब जनता, विशेषकर किसान महात्मा गाँधी की सात्विक जीवन शैली तथा उनके द्वारा ग्रहण किए गए धोती और चरखे जैसे प्रतीकों से बहुत प्रभावित थे। यद्यपि गाँधीजी जाति से एक व्यापारी और पेशे से एक वकील थे, लेकिन फिर भी उनकी सादगीपूर्ण जीवन शैली और गरीबों के प्रति उनकी सहानुभूति; उन्हें जनसाधारण के बहुत निकट ले आई थी।


प्रश्न . क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि हड़प्पा सभ्यता के शहरों की जल निकासी प्रणाली नगर योजना की ओर संकेत करती है? अपने उत्तर के कारण बताइए।

उत्तर- हड़प्पा सभ्यता में नगरों की स्थापना वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित ढंग से की गई थी। मैं इस कथन से पूर्णतः सहमत हूँ कि हड़प्पा सभ्यता के नगरों की जल निकास प्रणाली नगर-योजना की ओर संकेत करती है। ऐसा मानने के निम्नलिखित कारण हैं-

 (1) हड़प्पा सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता जल निकास प्रणाली थी। भवनों से गंदा पानी निकालने के लिए नालियों की उत्तम व्यवस्था की गई थी। (2) प्रत्येक घर में पकी ईंटों से बनी छोटी नालियाँ होती थीं, जो स्नानागारों तथा शौचालयों से जुड़ी होती थीं, इनके द्वारा घर का गंदा पानी गली में बनी हुई मध्यम आकार की नालियों तक पहुँच जाता था।

 (3) गली की मध्यम आकार वाली नालियाँ बड़ी सड़कों से साथ-साथ बने हुए नालों में मिलती थीं। 

(4) नालियाँ पकी ईंटों से बनी तथा ढकी होती थीं, उनमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर हटाने वाले पत्थर लगे होते थे ताकि आवश्यकतानुसार उन्हें हटाकर नालियों की सफाई की जा सके। 

(5) जल-निकास प्रणाली केवल बड़े नगरों तक ही सीमित नहीं थी, अपितु अनेक छोटी बस्तियों में भी इनके अस्तित्व के प्रमाण मिले हैं। उदाहरणार्थ लोथल में घरों का निर्माण कच्ची ईंटों से किया गया था, किन्तु नालियों का निर्माण पक्की ईंटों से किया गया था।


प्रश्न .मोहनजोदड़ो की प्रमुख विशिष्टताओं का वर्णन कीजिये ?

उत्तर - उत्तर-मोहनजोदड़ो की प्रमुख विशिष्टताएँ निम्नांकित हैं- 

 (1) गलियाँ- मोहनजोदड़ो में चौड़ी और सीधी सड़कें थीं। सड़कें और गलियाँ एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। गलियाँ एक-दूसरे को वर्गाकार और आयताकार खण्डों में काटती थीं। गलियों के दोनों ओर सभी घरों के साथ-साथ नालियाँ बनी हुई थीं। शहर में गलियों में जाल बिछा हुआ था।

 (2) जल निकास प्रणाली- मोहनजोदड़ो की जल-निकास प्रणाली अति उत्तम थी। सड़कों और गलियों को लगभग एक ग्रिड पद्धति में बनाया गया था तथा वे एक-दूसरे को समकोण पर काटती र्थी। गलियों और सड़कों के दोनों ओर पक्की नालियाँ बनी हुई थीं, जिनमें घरों से गंदा पानी बहकर आता था। नालियाँ ढकी होती थीं। 

(3) भवन-मोहनजोदड़ो में बस्ती को दो भागों में विभक्त किया गया था। एक छोटी बस्ती थी लेकिन उसे ऊँचाई पर बनाया गया था; दूसरी बस्ती कहीं अधिक बड़ी थी लेकिन उसे नीचे बनाया गया था। छोटी बस्ती को दुर्ग और निचली बड़ी बस्ती को निचला शहर कहा जाता था। दुर्ग की संरचनाएँ कच्ची ईंटों के चबूतरे पर बनी र्थी, इसलिए इसकी ऊँचाई अधिक थी। दुर्ग को निचले शहर से अलग करने के लिए उसे दीवार से घेर दिया गया था। निचले शहर को भी दीवार से घेरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरे पर बनाया गया था, जो नींव का कार्य करते थे। 

(4) विशाल स्नानागार - मोहनजोदड़ो का सबसे प्रमुख सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार था। इसमें कपड़े बदलने के लिए कमरे बने हुए थे। सीढ़ियाँ जलाशय के नीचे सतह तक बनी हुई थीं। स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों का बना हुआ था। पानी एक बड़े कुएँ से जलाशय में आता था। सम्भवतः इस विशाल स्नानागार का उपयोग धार्मिक कार्यों में स्नान के लिए किया जाता था।

प्र.  मीराबाई को भक्ति परम्परा की सुप्रसिद्ध कवयित्री क्यों कहा जाता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मोराबाई भक्ति परम्परा की अत्यन्त लोकप्रिय कवयित्री है। उनकी गणना 16वीं शताब्दी के महान सन्तों में की जाती है। मीराबाई की जीवनी का संकलन उनके द्वारा लिखे गए भजनों के आधार पर किया गया है, जो शताब्दियों तक मौखिक रूप से संप्रेषित होते रहे। मौराबाई मारवाड़ में मेड़ता के राजा रत्नसिंह राठौर की इकलौती सन्तान थी। वह बचपन से ही अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। वह भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। 1516 ई. में उनका विवाह उनकी इच्छा के विपरीत सिसौदिया राजवंश में राणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र भोजराज के साथ कर दिया गया। विवाह के बाद मीराबाई ने पत्नी और माता के परम्परागत दायित्वों को पूरा करने से इन्कार कर दिया और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपना एकमात्र पति स्वीकार किया। उनके ससुराल वालों ने उन्हें विष देकर मार देने का असफल प्रयत्न भी किया। अंततः मीराबाई ने राजभवन त्याग दिया और वह एक परिव्राजिका सन्त बन गई। मीराबाई ने अपने अन्तर्मन की भाव प्रवणता को अभिव्यक्त करने वाले अनेक पदों की रचना की। उनके द्वारा सभी पद ब्रजभाषा, राजस्थानी और गुजराती भाषा में रचे गए। मीराबाई ने अपने सभी पद अपने आराध्य देव श्रीकृष्ण को समर्पित किए हैं, इसी कारण उन्हें भक्ति परम्परा की सुप्रसिद्ध कवयित्री के नाम से जाना जाता है। 

कुछ परम्पराओं में उल्लेख मिलता है कि मीराबाई के गुरु रैदास थे, जो एक चर्मकार थे। इससे स्पष्ट होता है कि मीराबाई जाति-पाँति के बन्धनों और समाज की रूढ़ियों के विरुद्ध थीं। उन्होंने अपने आराध्य देव श्रीकृष्ण की भक्ति में राजमहल के ऐश्वर्य का परित्याग कर संयासिनी के वस्त्र धारण कर लिए थे।

प्रश्न . गाँधीजी की नमक यात्रा क्यों उल्लेखनीय थी ?

उत्तर-गाँधीजी की नमक यात्रा निम्नांकित कारणों से उल्लेखनीय थी-

 (1) नमक यात्रा के चलते महात्मा गाँधी दुनिया की नजर में आए। इस यात्रा को यूरोपीय और अमेरिकी प्रेस ने व्यापक कवरेज दी। 

(2) महात्मा गाँधी की नमक यात्रा, पहली राष्ट्रवादी गतिविधि थी, जिसमें महिलाओं नेबढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। समाजवादी कार्यकर्ता कमला देवी चट्टोपाध्याय ने गाँधीजी को समझाया कि वे अपने आन्दोलनों को पुरुषों तक ही समित न रखें। कमला देवो उन असंख्य महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने नमक या शराब कानूनों का उल्लंघन करते हुए सामूहिक गिरफ्तारी दी थी।

 (3) नमक यात्रा के कारण ही अंग्रेजों को यह अहसास हुआ था कि अब उनका शासन बहुत दिन नहीं टिक सकेगा और उन्हें भारतीयों को भी सत्ता में हिस्सा देना पड़ेगा। 

(4) इस नमक यात्रा के परिणामस्वरूप पहला गोलमेज सम्मेलन नवम्बर, 1930 ई. में लन्दन में आयोजित किया गया।

 (5) नमक यात्रा/दांडी यात्रा के साथ ही सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हो गया। इससे देशव्यापी प्रदर्शनों व आन्दोलनों की बाढ़ आ गई। गाँधीजी द्वारा नमक कानून तोड़ने से देश की जनता को बल मिला। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि भारतीय जनता विदेशी कानूनों के भार को अब और नहीं हो सकती। 


औपनिवेशिक काल के नए शहरों के आर्थिक व सामाजिक परिवेश का वर्णन

कीजिए।




औपनिवेशिक काल की प्रमुख भवन व स्थापत्य निर्माण शैलियों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए



        नकशा        

1. भारत के मानचित्र पर निम्नांकित को दर्शाइए-

(1) लोथल,

(2) वाराणसी,

(3) अमरावती,

(4) दिल्ली


2.भारत के मानचित्र पर निम्नांकित को दर्शाइए-

(1) धौलावीरा,

(2) उज्जयिनी,

(3) बोध गया,

(4) लखनऊ।

3. भारत के मानचित्र में दर्शाइए-

(i) सांची,

(ii) भरहुत,

(iii) सारनाथ 

(iv) अमरावती

4.भारत के मानचित्र पर निम्नांकित को दर्शाइए

(i) कोलकाता,

(ii) मुंबई,

(iii) चेन्नई,

(iv) मेरठ।

5.भारत के मानचित्र पर निम्नांकित को दर्शाइए - 

(i) अश्मक, (ii) मत्स्य, (iii) शूरसेन, (iv) काशी।

6.भारत के मानचित्र पर निम्नांकित को दर्शाइए-

(i) शिमला,             (ii) कानपुर, 

(iii) जमशेदपुर,      (iv) दार्जिलिंग।






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